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पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल:5 साल में 8 हजार से ज्यादा बच्चों की मौत

नयी दिल्ली : देश के जाने माने चिकित्सा कॉलेजों में से एक पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में पिछले पांच साल में 8 हजार से ज्यादा बच्चों और प्रसव के दौरान 700 से ज्यादा महिलाओं की मौत हुई है. यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है. अस्पताल ने […]

नयी दिल्ली : देश के जाने माने चिकित्सा कॉलेजों में से एक पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) में पिछले पांच साल में 8 हजार से ज्यादा बच्चों और प्रसव के दौरान 700 से ज्यादा महिलाओं की मौत हुई है. यह खुलासा सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी से हुआ है. अस्पताल ने आवेदन के जवाब में बताया है कि विगत पांच वर्षों में अस्पताल में 8,303 बच्चों की मौत हुई है. नौनिहालों ही नहीं, बल्कि मातृत्व प्राप्त करने वाली महिलाओं के लिए भी अस्पताल की स्थिति ठीक दिखाई नहीं देती. पांच साल की अवधि में इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रसव के दौरान 776 महिलाओं की जान गई.

दिल्ली निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता आर एच बंसल द्वारा सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में अस्पताल ने बताया है कि 1 जनवरी 2009 से लेकर 31 दिसंबर 2013 तक अस्पताल में 8,303 बच्चों और इसी अवधि में प्रसव के दौरान 776 महिलाओं की मौत हुई. अस्पताल के शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 2009 से लेकर 31 दिसंबर 2009 तक आपातकालीन कक्ष में 995 बच्चों की मौत हुई. इसके बाद बच्चों की मौत का आंकडा कम होने के बजाय साल दर साल बढता गया. अस्पताल में 4 मार्च 2010 को नवजात गहन चिकित्सा कक्ष (एनआईसीयू) खुला. इस कक्ष में भी मौतों का आंकडा काफी अधिक है. एक जनवरी 2010 से लेकर 31 दिसंबर 2010 तक आपातकालीन कक्ष में जहां 448 बच्चों की मौत हुई, वहीं इसी अवधि में एनआईसीयू में 756 बच्चों ने दम तोडा. इस तरह साल 2010 में कुल 1,204 बच्चों की मौत हुई.

शिशु रोग विभागाध्यक्ष द्वारा आरटीआई आवेदन के जवाब में दी गई जानकारी के अनुसार 2011 में बच्चों की मौत का यह आंकडा और भी आगे निकल गया. 1 जनवरी 2011 से 31 दिसंबर 2011 तक आपातकालीन कक्ष में 1,170 बच्चों की मौत हुई, जबकि इसके एक साल पहले ही खुले एनआईसीयू में 748 बच्चों ने दम तोड दिया. इस तरह वर्ष 2011 में कुल 1,918 बच्चों की जान गई.एक जनवरी 2012 से साल के अंत तक आपातलीन कक्ष में जहां 1,086 नौनिहालों ने दम तोडा, वहीं एनआईसीयू में 963 बच्चों की जिन्दगी चली गई. इस तरह 2012 में इस अस्पताल में 2,049 बच्चों की मौत हुई. इस अस्पताल में 2013 का साल बच्चों के लिए काफी खराब रहा और पांच साल की अवधि में तुलना के हिसाब से पिछले साल मौतों का आंकडा सर्वाधिक स्तर पर पहुंच गया. एक जनवरी 2013 से 31 दिसंबर 2013 तक आपातकालीन कक्ष में 993 बच्चों की मौत हुई, जबकि एनआईसीयू में 1,144 बच्चों की जान चली गई. इस तरह 2013 में पीएमसीएच में कुल 2,137 बच्चों की मौत हुई.

अस्पताल में ये पांच साल महिलाओं के लिए भी ठीक नहीं रहे और इस अवधि में प्रसव के दौरान 776 महिलाओं की मौत हो गई. वर्ष 2009 में प्रसव के लिए भर्ती 6,539 महिलाओं में से 121 की मौत हो गई. 2010 में 7,079 में से 137, साल 2011 में 6,921 में से 155, वर्ष 2012 में 6,729 में से 190 और वर्ष 2013 में प्रसव के लिए भर्ती कराई गईं 6,731 में से 173 महिलाओं की मौत हो गई.

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