गयाः एक तरफ प्रशासन स्वच्छ, भयमुक्त और निष्पक्ष लोकसभा चुनाव कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है, तो दूसरी तरफ कई क्षेत्रों में वोट बहिष्कार की घोषणा कर माओवादियों ने प्रशासन के सामने कड़ी चुनौती पेश की है. गया के नक्सलग्रस्त क्षेत्र इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में आये दिन बारूदी सुरंग के खुलासे हो रहे हैं. वोटरों को आतंकित करने के लिए पोस्टर चिपका कर धमकी दी जा रही है. इसी कड़ी में शनिवार को भाकपा (माओवादियों) ने डुमरिया बाजार में खोले गये औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह व जदयू प्रत्याशी बागी कुमार वर्मा के चुनाव कार्यालयों को बंद करने का फरमान जारी किया. उसने कार्यालय बंद नहीं करने पर अंजाम भुगतने की धमकी दी है. माओवादियों के भय से नेताओं ने फिलहाल चुनावी कार्यालयों को बंद कर दिया है. उधर, नवादा के कौआकोल प्रखंड में पोस्टर चिपका कर माओवादियों ने वोट बहिष्कार करने का एलान किया है. इसका असर राज्य में पहले चरण के मतदानवाले सभी छह लोकसभा क्षेत्रों- सासाराम, औरंगाबाद, गया, नवादा, काराकाट व जमुई में पड़ने की आशंका है. ये सभी क्षेत्र नक्सलग्रस्त हैं.यहां 10 अप्रैल को वोट डाले जायेंगे. माओवादी नयी तकनीक अपना कर मोबाइल एसएमएस से वोट बहिष्कार की अपील भी कर रहे हैं.
चुनाव आयोग की सख्ती के मद्देनजर जिला प्रशासन चुनाव की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता है. लेकिन, बारूदी सुरंग विस्फोट कर, पोस्टर चिपका कर व लोगों को मतदान न करने के लिए डरा-धमका कर नक्सली चुनाव में बाधा डालने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं. गया जिले के इमामगंज विधानसभा क्षेत्र में सीरियल बारूदी सुरंग की बरामदगी एक उदाहरण है. उधर, कैमूर, सासाराम, औरंगाबाद व नवादा के नक्सलग्रस्त प्रखंडों में चुनाव कराना पुलिस-प्रशासन के लिए युद्ध से कम नहीं होगा. अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की गयी है. नक्सलग्रस्त इलाकों में कांबिंग ऑपरेशन तेज हो गया है.
नवादा के कोआकोल प्रखंड मुख्यालय से सटे रानी बाजार के महेश चौरसिया, रामवृक्ष चौरसिया, ब्रrादेव चौरसिया, ओम प्रकाश साव के घर व महुड़र पंचायत के झीलार जंगल में सड़क के किनारे पोस्टर चिपका कर माओवादियों ने वोट बहिष्कार करने की घोषणा की है. ये पोस्टर शुक्रवार की रात चिपकाये गये हैं. इससे मतदाताओं में दहशत है. हालांकि, कौआकोल के थानाध्यक्ष सुधाकर कुमार ने बताया कि माओवादियों के पोस्टरों को उखाड़ दिया गया हैं. मतदाताओं को वोट डालने के लिए हर संभव सुरक्षा दी जायेगी.
गौरतलब है कि करीब दो माह से माओवादियों ने कौआकोल में शरण ले रखी है. उधर, शुक्रवार की रात औरंगाबाद के देव प्रखंड के ढिबरा थाने के पचमो गांव में ट्रैक्टर को आग के हवाले कर दिया और भय पैदा करने के लिए चालक व मालिक की पिटाई की.
माओवादी बाधित कर सकते हैं मतदान
-माओवादियों के फरमान के बाद गया के डुमरिया में भाजपा-जदयू प्रत्याशियों के कार्यालय बंद
-नवादा के कौआकोल में पोस्टर चिपका कर वोट बहिष्कार का एलान
-सासाराम, कैमूर सहित अन्य नक्सलग्रस्त क्षेत्रों में भी मतदान नहीं करने की धमकी
-एसएमएस कर वोट का बहिष्कार करने की अपील भी कर रहे माओवादी
पहले चरण की सभी सीटें नक्सलग्रस्त
10 को यहां होना है मतदान : सासाराम, औरंगाबाद, काराकाट, गया, जमुई व नवादा
नक्सलग्रस्त प्रखंड
रोहतास : चेनारी, नौहट्टा, रोहतास, तिलौथू
औरंगाबाद : मदनपुर, देव, नवीनगर, गोह, रफीगंज, दाउदनगर.
गया : इमामगंज, डुमरिया, कोठी, बांकेबाजार, रोशनगंज, शेरघाटी, आमस, बाराचट्टी, गुरुआ, गुरारू, परैया, टिकारी, कोंच, अतरी व बथानी.
नवादा : कौआकोल, गोविंदपुर, रजौली, सिरदला, रूपौ, मेसकौर, अकबरपुर.
माओवादियों ने जारी किया समानांतर घोषणा पत्र
पटना. लोकसभा चुनाव के बहिष्कार के अपने आह्वान के साथ प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) ने देश में व्यवस्था परिवर्तन के लिए अपने खुद को एक विकल्प के रूप में पेश किया है. माओवादियों ने राजनीतिक दलों के तर्ज पर अपना एक अलग घोषणा पत्र जारी किया है. उसने कहा है कि देश में वादाबाजी, भाषणबाजी और वोटबाजी की राजनीति बहुत हो चुकी. देश की समस्याओं की जड़ मौजूदा व्यवस्था में है. आजादी के बाद हमने कई सरकारों को बदला है, लेकिन हमारी तंगहाली, बदहाली और भुखमरी आज भी कायम है. अमीर और अधिक अमीर होते चले गये, जबकि गरीब और अधिक गरीब. यह पहला मौका है, जब लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने वैकल्पिक शासन प्रणाली को लेकर अपना घोषणा पत्र जारी किया है. इसमें नये संविधान से लेकर एकमुश्त कृषि क्षेत्र, आत्मनिर्भर एवं स्वतंत्र उद्योग क्षेत्र, वास्तविक स्वैच्छिक संघ का निर्माण, धर्मनिरपेक्षता व जनवादी संस्कृति का निर्माण, सही लोकतांत्रिक राज्य व स्वस्थ केंद्र व राज्य संबंध, महिलाओं को समान अधिकार, कल्याणकारी राज्य की स्थापना, जनपक्षीय न्याय प्रणाली, पर्यावरण व विस्थापन और एक सशक्त राष्ट्र व जनवादी पड़ोसी के बारे में अपनी नीतियों की चर्चा की है. भाकपा (माओवादी) के पूर्वी रीजनल ब्यूरो के प्रवक्ता संकेत के हस्ताक्षर से जारी इस घोषणा पत्र में एक वैकल्पिक शासन व्यवस्था की बात कही गयी है. किसी सुदूर जंगल से जारी किये गये इस घोषणा पत्र में चुनाव बहिष्कार का आह्वान भी किया गया है.
माओवादियों ने अपने संविधान में आम लोगों के मूलभूत अधिकारों की गारंटी की बात कही है. उन्होंने कहा कि इसमें अभिव्यक्ति का अधिकार होगा. उनके संविधान में सभा करने, संगठन बनाने, हड़ताल व प्रदर्शन करने, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, प्राथमिक शिक्षा का, रोजगार व शासन प्रणाली में हिस्सा लेने का अधिकार शामिल होगा. इसमें विदेश नीति की भी चर्चा है. इसमें कहा गया है कि वे पांच सिद्धांतों का पालन करेंगे-क्षेत्रीय अखंडता व संप्रभुता का सम्मान, परस्पर अनाक्रमण, एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना, बराबरी व परस्पर हित और शांतिपूर्ण सह अस्तित्व. माओवादियों ने ऑपरेशन ग्रीन हंट जैसे अन्यायपूर्ण युद्ध की चर्चा करते हुए देश के नागरिकों से इसका विरोध करने का भी आह्वान किया है. उन्होंने कहा है कि जब देश की 90 प्रतिशत जनता एकजुट हो जायेगी, तो हमें अपनी शासन व्यवस्था कायम करने से कोई नहीं रोक सकता.