पटना : आसन्न लोकसभा चुनाव के अपने बहिष्कार की घोषणा को मूर्त रुप देने के लिए प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी बिहार में लोगों को मतदान से रोकने के लिए उन्हें एकमुश्त (बल्क) एसएमएस भेजने के मद्देनजर यहां पुलिस को हाई अलर्ट कर दिया गया है.
पूर्व में माओवादी चुनाव बहिष्कार के लिए दीवार लेखन, पोस्टर एवं पर्चा का सहारा लेते थे। लेकिन बिहार में ऐसा पहली बार हुआ है कि माओवादी अब सूचना तकनीक के साधन का इस्तेमाल करते हुए लोगों को मोबाइल फोन पर अब एकमुश्त एसएमएस भेज रहे हैं.
आसन्न लोकसभा के प्रथम चरण में दक्षिण बिहार के छह नक्सल प्रभावित लोकसभा सीटों गया, नवादा, जमुई, औरंगाबाद, सासाराम और काराकाट में आगामी दस अप्रैल को मतदान होना है.
बिहार के पुलिस महानिदेशक अभयानंद का कहना नक्सलियों ने यह नया तरीका अपनाया है. हालांकि वे हमेशा चुनाव के खिलाफ रहे हैं. पूर्व में वे इस उद्देश्य के लिए पोस्टर और पर्चा का इस्तेमाल करते थे और अब एसएमएस का सहारा लिया है. किसी को एसएमएस भेजने पर रोक नहीं है. फिर भी पुलिस माओवादियों द्वारा भेजे जा रहे एकमुश्त एसएमएस भेजने के स्थल के बारे में पता लगा रही है.
उन्होंने कहा कि बिहार में निर्विध्न चुनाव संपन्न कराने के लिए जो भी संभव है, वह पुलिस कर रही है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि माओवादी अपने प्रवक्ता अविनाश के नाम से उक्त एसएमएस भेज रहे हैं. एसएमएस में आम जन, कार्यकर्ता, किसानों, बुद्धिजीवियों, देशभक्तों और आंदोलनकारियों से चुनाव बहिष्कार की अपील की गयी है.
सूत्रों ने कहा कि उक्त एसएमएस में माओवादी गुरिल्लाओं से मतदान के दिन पुलिसकर्मियों पर उग्र हमले करने को कहा गया है और मतदानकर्मियों से अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस वाहन पर नहीं चलने की अपील की है. यह जनता के बीच भय पैदा करने की उनकी एक कोशिश प्रतीत होती है.
इस बीच बिहार के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी आर लक्ष्मणन ने कहा कि माओवादियों द्वारा एकमुश्त एसएमएस का सहारा लिये जाने की जानकारी निर्वाचन आयोग को मिली है.उन्होंने कहा कि हम मतदान कर्मियों और जनता को आश्वस्त करना चाहते हैं कि इसको लेकर परेशान होने की जरुरत नहीं है. इस खतरे के मद्देनजर सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से अर्द्धसैनिक बलों से समन्वय बनाए जाने तथा उचित कदम उठाने को लेकर बातचीत हुई है.
आगामी दस अप्रैल को निर्विध्न मतदान सुनिश्चित करने के लिए बिहार पुलिस की 48 हजार बलों की तैनाती की योजना है.मतदान के दिन नक्सल प्रभावित इलाकों में गश्त और नजर रखने के लिए सेना के हेलिकॅाप्टर की भी सेवा ली जायेगी.