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अपनों ने छोड़ा, गैरों ने अपनाया

पटना: अपनों ने ठुकरा दिया था. लोक लाज या फिर मजबूरी में कूड़े के ढेर में छोड़ दिया, जहां पर उसे कुत्ते खाने के लिए आपस में लड़ रहे थे. इस दौरान एक मां पहुंची और मासूम को उठा कर आचंल में छिपा ली. वाकया मंगलवार की सुबह गांधी मैदान थाने के सालिमपुर स्थित आरबीआइ […]

पटना: अपनों ने ठुकरा दिया था. लोक लाज या फिर मजबूरी में कूड़े के ढेर में छोड़ दिया, जहां पर उसे कुत्ते खाने के लिए आपस में लड़ रहे थे. इस दौरान एक मां पहुंची और मासूम को उठा कर आचंल में छिपा ली. वाकया मंगलवार की सुबह गांधी मैदान थाने के सालिमपुर स्थित आरबीआइ के पीछे का है. कूड़े पर बच्च छोड़ा हुआ था. उषा जरा भी देर करती, तो यह मासूम कुत्ते का निवाला बन जाता.

उषा ने बताया कि वह सुबह में कूड़ा एकत्रित करने के लिए गयी थी. इस दौरान कुछ कुत्ते भौंकते हुए आपस में लड़ रहे थे. जब वह उनके पास पहुंची, तो एक नवजात काटरून में लेटा हुआ था. उसने उस बच्चे को उठा कर आसपास लोगों की तलाश की, लेकिन वहां पर कोई नहीं दिखाई दिया. इसके बाद उसे पुलिस को सौंपने की कोशिश की. लेकिन बच्चे ने उसका हाथ पकड़ लिया. बच्चे के प्यार को देख उसने अपने पति धनंजय से उसे अपनाने का अनुरोध किया.

बच्चे व पत्नी के प्यार को देख कर उसके पति ने उससे अपनाने का तैयार हो गया. लेकिन पहले से चार बच्चे होने की बात कही. लेकिन मां की ममता ने सभी परेशानी को सहन का आश्वासन दिया.

बच्चों ने किया भाई का स्वागत
भूख, प्यास से परेशान बालक को उषा ने सबसे पहले मार्केट से खरीद कर दूध पिलाया. बच्चे को लेकर जब वह घर आयी तो परिवार के सभी सदस्य बहुत खुश हुए. उस नन्हे और नये सदस्य का खूब स्वागत किया. उसके सबसे छोटी बेटी खुशी से उछल गयी. उसका सबसे पहला शब्द था. मां भाई कितना प्यारा है. उसे उसने मां के हाथ से छिन कर अपने गोद में ले लिया.

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