पटना: कभी लोकसभा चुनाव के टिकट को लेकर खुलेआम नाराजगी जाहिर करनेवाले भाजपा के वरिष्ठ नेता अश्विनी चौबे और गिरिराज सिंह पहले तो टिकट पाने में सफल रहे और अब अपने-अपने चुनाव क्षेत्र में पार्टी के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम तय करवाने में कामयाब रहे. ये दोनों अपने को नरेंद्र मोदी का करीबी बताते रहे हैं. बुधवार को एक ही दिन नरेंद्र मोदी नवादा और बक्सर में सभा करेंगे. नवादा से गिरिराज व बक्सर से अश्विनी चौबे पार्टी के उम्मीदवार हैं. जानकारों का कहना है कि मोदी की सभा से जहां चुनाव क्षेत्रों में उनके समर्थकों का उत्साह बढ़ेगा, वहीं पार्टी की प्रदेश इकाई के अंदर इन दोनों नेताओं का कद
भी बढ़ेगा बिहार में गिरिराज सिंह और अश्विनी चौबे शुरू से ही नरेंद्र मोदी के कट्टर समर्थक रहे हैं. जब नीतीश सरकार में भाजपा शामिल रही, तो नरेंद्र मोदी बिहार के चुनावी परिदृश्य से दूर रहे, लेकिन तमाम विरोध के बावजूद दोनों गुजरात में मोदी के कार्यक्रमों में शरीक होते रहे हैं.
अश्विनी चौबे भागलपुर से लोकसभा का टिकट चाहते थे और वहां के निवर्तमान सांसद शाहनवाज हुसैन को किशनगंज से लड़ने की नसीहत दे रहे थे. लेकिन, जब शाहनवाज को भागलपुर से ही टिकट दे दिया गया, तो अश्विनी नाराज हो गये थे. उन्होंने टिकट वितरण में पार्टी के आम कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का सवाल उठाया था. बाद में उन्हें बक्सर से प्रत्याशी बनाया गया. सूत्रों का कहना है कि नरेंद्र मोदी व संघ के हस्तक्षेप के बाद उन्हें बक्सर से उतारना पड़ा.
हालांकि, बक्सर में भी उन्हें कम विरोध नहीं ङोलना पडा. पूर्व सांसद लाल मुनि चौबे टिकट कटने पर नाराज हो गये और निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में परचा दाखिल कर दिया. उन्हें समझाने-बुझाने में बिहार भाजपा के कई शीर्ष नेता और पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी विफल रहे. आखिरकार उन्हें मनाने के लिए नरेंद्र मोदी ने स्वयं पहल की और लालमुनि से दो-दो बार फोन पर बात की, तब जाकर लालमुनि नामांकन वापस लेने को तैयार हुए. यही नहीं, वह अश्विनी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने को भी राजी हो गये. लालमुनि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी थे. यहीं कारण था कि वाजपेयी बक्सर में जरूर चुनाव सभा करते थे. जानकारों का कहना है कि इसी तर्ज पर अब नरेंद्र मोदी अश्विनी चौबे के लिए बक्सर में चुनावी सभा को संबोधित करने आ रहे हैं.
पूर्व मंत्री गिरिराज सिंह बेगूसराय से टिकट चाहते थे. लेकिन, उन्हें नवादा से टिकट दिया गया, तो वह नाराज हो गये. उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैंने नमो का करीबी होने और बेबाक बोलने की कीमत चुकायी है. प्रदेश के दो बड़े नेता नरेंद्र मोदी को गलत जानकारी दे रहे हैं. उन्होंने दिल्ली में जाकर पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और संगठन महामंत्री रामलाल से मुलाकात की. आखिरकार वह नवादा से लड़ने पर मान गये. इसे वह नरेंद्र मोदी के लिए ‘एक और कुरबानी’ कहा. नवादा में नामांकन दाखिल करने के दिन से ही वह इस क्षेत्र में नरेंद्र मोदी की चुनावी सभा कराने को प्रयासरत थे. दो दिन पहले केंद्रीय नेतृत्व से वह इसकी स्वीकृति लेने में सफल रहे.
मैंने नमो का करीबी होने और बेबाक बोलने की कीमत चुकायी है. प्रदेश के दो बड़े नेता नरेंद्र मोदी को गलत जानकारी दे रहे हैं. वे नरेंद्र मोदी को पीएम नहीं बनाना चाहते है, बल्कि खुद बिहार के सीएम बनना चाहते हैं. जो लोग नीतीश कुमार के आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं करते थे, वे आज बहुरूपिया बने हैं.
गिरिराज सिंह
(14 मार्च, 2014)
टिकट वितरण की प्रकिया सही नहीं रही. इससे कार्यकर्ताओं की भावना को ठेस पहुंची है. जिन कार्यकर्ताओं ने पूरा जीवन दल के लिए समर्पित कर दिया, उनकी अनदेखी हुई है. दूसरे दल से आये लोगों को तरजीह दी गयी.
अश्विनी चौबे
(13 मार्च, 2014)