पटना: वित्तीय वर्ष 2013-14 के अंतिम दिन 31 मार्च को विभिन्न विभागों ने 22 हजार करोड़ रुपये सरेंडर किये. 2013-14 के एक लाख करोड़ के बजट में से 78 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं. सरकार के लिए सबसे बड़ी राहत की बात यह रही कि योजना आकार 34000 करोड़ में से 30410 करोड़ रुपये खर्च हो गये.
अगर संशोधित योजना आकार की बात करें, तो फरवरी में 34 हजार करोड़ में से पांच हजार करोड़ की कटौती कर 29 हजार करोड़ निर्धारित किया गया था. इस हिसाब से योजना आकार से 1410 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए हैं. कटौती का कारण केंद्र से केंद्रीय करों में मिलनेवाली हिस्सेदारी में कमी किया जाना और झारखंड सरकार से पेंशन मद में 1500 करोड़ रुपये कम मिलना है.
एक अप्रैल की तिथि में सरकार का ओपनिंग बैलेंस 2000 करोड़ का रहेगा. वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह ने बताया कि वर्ष 2013-14 में राज्य का योजना आकार 34 हजार, केंद्र प्रायोजित योजना के लिए 4,715.43 करोड़ और केंद्रीय योजना के लिए 290.87 करोड़ रुपये निर्धारित थे. इसके विरुद्ध राज्य योजना आकार 30410 करोड़, केंद्र प्रायोजित योजना के तहत 2875.93 करोड़ और केंद्रीय योजना के तहत 81.47 करोड़ रुपये यानी कुल 39006. 30 करोड़ में से 33368 .32 करोड़ रुपये खर्च हुए. गैर योजना मद 52 115 करोड़ रुपये में से 41918.52 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
प्रधान सचिव के अनुसार वेतन व पेंशन मद में कुल 29 हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन लगभग 600 करोड़ रुपये की निकासी राज्य के विभिन्न कोषागारों से हुई है. सरकार के सख्त निर्देश के कारण कहीं से भी किसी प्रकार के फर्जी निकासी की सूचना सरकार को नहीं मिली है. सरकार के लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि कुशल वित्तीय नियंत्रण के चलते राजस्व घाटा को नियंत्रित रखा गया. अंतिम दिन राशि निकासी को लेकर अफरा-तफरी का माहौल नहीं था.