सीवान जिले में टीबी के मरीजों की पहचान होने के बाद दी जाने वाली फर्स्ट लाइन की दवा 4 एफडीसी एवं 3 एफडीसी जिला यक्ष्मा केंद्र एवं अन्य सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध नहीं होने से मरीजों की परेशानियां बढ़ गयी हैं. जिला यक्ष्मा केंद्र में 4 एफडीसी दवा का स्टॉक ही नहीं है, जबकि 3 एफडीसी मात्र 24 स्ट्रिप दवा बची है. इसकी एक्सपायरी इसी माह में है. विभाग की गाइडलाइन के अनुसार टीबी मरीजों को एक बार एक माह की दवा देनी है, लेकिन दवा के अभाव में मरीजों को एक हफ्ते की भी दवा नहीं मिल पा रही है. टीबी मरीज को उपचार में इंटेंसिव फेज में दो महीने के लिए 4 एफडीसी तथा इसके बाद कंटिन्युएशन फेज में चार महीने 3 एफडीसी दवा दी जाती है. 4 एफडीसी में आइसोनियाजिड, रिफैम्पिसिन, एथमब्यूटोल और पाइराजिनामाइड तथा 3 एफडीसी आइसोनियाजिड, रिफैम्पिसिन और एथमब्यूटोल दवा शामिल रहती हैं. स्वास्थ्य विभाग को टीबी की दवा का स्टॉक खत्म होने के पहले दवा की व्यवस्था पहले कर लेनी चाहिए थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. वर्ष 2025 तक पूरे देश से टीबी बीमारी का उन्मूलन करने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित किया गया है. टीबी बीमारी को खत्म करने के लिए सरकार द्वारा निक्षय योजना सहित कई कार्यक्रम शुरू किये गये हैं. टीबी के उन्मूलन के क्षेत्र में बेहतर करने वाले जिलों को भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा रहा है. इस साल टीबी बीमारी के उन्मूलन के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के लिए सीवान जिले को सिल्वर मेडल भी मिल चुका है, लेकिन पिछले कई महीनों से सरकारी अस्पतालों में टीबी की दवा की नियमित आपूर्ति नहीं होने से टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के लक्ष्य से भटकने की संभावना दिख रही है. यक्ष्मा विभाग की नजर में जिले में लगभग तीन हजार से अधिक टीबी के मरीज हैं. सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ खुले बाजार में भी टीबी की प्रमुख दवाएं उपलब्ध नहीं होने से टीबी मरीज परेशान है. अधिकांशत: एमडीआर के मरीज काफी गरीब हैं.एमडीआर टीबी के मरीज ने जान बचाने के लिए पैसों की व्यवस्था दवा खरीदने के लिए कर लिया है. लेकिन खुले बाजार में भी दवाओं के नहीं मिलने से मरीज काफी परेशान हैं. आसपास के जिलों एवं दूसरे प्रदेशों में भी दवा की खोजबीन किया है. ऑनलाइन भी यह दवाएं उपलब्ध नहीं है. हाल ही में सरकार ने पर्ची पर दी जाने वाली दवाओं के ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगा दिया है. जिले में कुछ प्रधानमंत्री जन औषधि की दवा दुकानें हैं. इन दवा दुकानों पर भी एमडीआर टीबी की दवा उपलब्ध नहीं है.
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