इंदौर : देश में अपने जैसा दूसरा पदकविजेता धावक सामने न आ पाने पर चिंता जताते हुए ‘उडन सिख’ मिल्खा सिंह ने आज कहा कि देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. लेकिन अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स स्पर्धाओं में पदक जीतने के लिये सरकार को भारतीय ओलंपिक संघ के साथ मिलकर समयबद्ध योजना बनानी चाहिये. इसके साथ ही, सभी स्कूलों में एथलेटिक्स को मुख्य खेल के तौर पर अनिवार्य किया जाना चाहिये.
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. पीटी उषा और अंजू बॉबी जार्ज जैसी एथलीट इसी देश में पैदा हुई हैं.’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम एथलेटिक्स में पदक नहीं जीत पा रहे हैं, तो मैं इसके लिये सरकार को दोष नहीं दूंगा क्योंकि वह खेलों को बढावा देेने के लिये सारी सुविधाएं और खर्च मुहैया करा रही है. इस सिलसिले में नतीजे देने की सारी जिम्मेदारी भारतीय ओलंपिक संघ की होती है.’
सिंह ने कहा, ‘अगर मैं देश का खेल मंत्री होता, तो एक बैठक बुलाकर भारतीय ओलंपिक संघ से पूछता कि जब सरकार सारी सुविधाएं और खर्च दे रही है, तो नतीजे सामने क्यों नहीं आ रहे हैं. अगर देश को मेरे जैसे एथलीट चाहिये, तो सरकार को भारतीय ओलंपिक संघ और दूसरे खेल संगठनों के साथ बैठकर समयबद्ध योजना बनानी चाहिये. इसके साथ ही, देश के सभी स्कूलों में एथलेटिक्स को मुख्य खेल के तौर पर अनिवार्य किया जाना चाहिये.’
मिल्खा सिंह ने देश में कथित रुप से बढती असहिष्णुता के विरोध में अलग..अलग हस्तियों के सरकारी पुरस्कार लौटाने के चलन पर असहमति जतायी और कहा, ‘सरकारी पुरस्कार लौटाने से आखिर क्या मतलब निकलता है. सरकार किसी भी हस्ती को उसकी उपलब्धियों के आधार पर पुरस्कार देती है.
मैं सरकारी पुरस्कार लौटाने के चलन के समर्थन में नहीं हूं.’ सिंह ने एक सवाल पर देश के महान हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते हुए कहा, ‘मैं यह नहीं पूछता कि क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को भारत रत्न क्यों दिया गया. मैं यह कहता हूं कि ध्यानचंद को भारत रत्न से नवाजा जाना चाहिये, क्योंकि इस सम्मान पर सबसे पहला हक उन्हीं का है.’