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एशियन गेम 2014 : सरिता देवी ने कांस्य पदक लेने से किया इनकार

इंचियोन : भारत की मुक्केबाज एल सरिता देवी ने आज कांस्य पदक लेने से इनकार कर दिया, जिसके कारण खेल के आयोजक स्तब्ध रह गये. कल लाइटवेट (60 किग्रा) मुक्केबाज उस समय हैरान रह गयी जब उन्हें मेजबान देश की खिलाड़ी जिना पार्क के खिलाफ हारा हुआ करार दिया गया. पार्क ने बाद में रजत […]

इंचियोन : भारत की मुक्केबाज एल सरिता देवी ने आज कांस्य पदक लेने से इनकार कर दिया, जिसके कारण खेल के आयोजक स्तब्ध रह गये. कल लाइटवेट (60 किग्रा) मुक्केबाज उस समय हैरान रह गयी जब उन्हें मेजबान देश की खिलाड़ी जिना पार्क के खिलाफ हारा हुआ करार दिया गया.

पार्क ने बाद में रजत पदक जीता. सरिता स्पष्ट तौर पर दोनों मुक्केबाजों के बीच बेहतर थी लेकिन जजों को ऐसा नहीं लगा. भारत ने बाद में जजों के फैसले के खिलाफ अपील भी की जो उसके खिलाफ गई. यह मुक्केबाज इसके बाद आज पदक वितरण समारोह में आंखों में आंसू लेकर आयी.

पोडियम पर रो रही सरिता ने पहले तो पदक लेने से इनकार कर दिया और फिर बाद में उन्होंने पार्क को गले लगाने के बाद इसे उन्हें ही सौंप दिया. पूर्व एशियाई और विश्व चैम्पियन सरिता इसके बाद समारोह से चली गई. इस पूरी घटना से सकते में आई पार्क ने इसके बाद पदक को पोडियम पर रखा दिया और बाहर चली गयी.

कल हुए मुकाबले में सरिता स्पष्ट तौर पर विजयी लग रही थी. उनके दबदबे का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है पार्क उनके मुक्कों से बचती दिखी. भारतीय दल और दर्शकों को हालांकि उस समय हैरानी हुई जब जजों ने पार्क को विजेता घोषित कर दिया.

सरिता ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें अपने मुक्केबाजी करियर को जारी रखने के लिए वह करना ही था जो उन्होंने किया अन्यथा यह हमेशा उनके दिमाग में रहता. इस मुक्केबाज ने कहा, ऐसा नहीं था कि मैं पदक नहीं लेना चाहती थी. मैंने इसे स्वीकार किया और इसके बाद कोरियाई खिलाड़ी को ही वापस कर दिया.

मुझे अपना मुक्केबाजी करियर जारी रखने के लिए यह करना था या फिर इस घटना की याद हमेशा मेरे दिमाग में रहती. अब मैं वापस जाकर अपने नवजात बच्चे को गले लगाऊंगी. सरिता ने कहा कि वह अपने इस बर्ताव का नतीजा भुगतने को तैयार हैं लेकिन उन्होंने साथ ही इस पूरे मामले में साथ नहीं देने के लिए भारतीय अधिकारियों पर आरोप भी लगाये.

उन्होंने कहा, मैं किसी भी नतीजे के लिए तैयार हूं. किसी भी भारतीय अधिकारी ने हमारे पास आकर हमें सांत्वना नहीं दी. किसी ने हमारे से बात भी नहीं की.

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