मुंबई : जमीनी स्तर पर काम करने के लिए प्रतिष्ठित द्रोणाचार्य पुरस्कार के लिए चुने गए हॉकी कोच मर्जबान पटेल ने कहा कि उन्होंने इस सम्मान की उम्मीद की थी, लेकिन उन्होंने नहीं सोचा था कि इतनी जल्दी उन्हें यह मिल जाएगा.
मुंबई हॉकी में ‘बावा’ के नाम से मशहूर 69 बरस के पटेल ने कहा कि वह उभरते हुए खिलाड़ियों के लिए मेंटर की तरह हैं. कोच के रूप में तीन दशक के करियर के दौरान बावा ने ओलंपियन एड्रियन डिसूजा, हाफ बैक वीरेन रासक्विन्हा के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के देवेंद्र और युवराज वाल्मिकी जैसे खिलाड़ियों को हॉकी के गुर सिखाए.
बावा ने कहा, कोचिंग सिर्फ कोचिंग देना नहीं है. कोचिंग से अधिक जबान (संवाद के संदर्भ में) की जरूरत होती है कि आप लड़कों और उनके माता-पिता को कैसे प्रेरित करते हैं. उन्होंने कहा, जो लड़के आगे आ रहे हैं उनके माता-पिता उनका आधार हैं. आपको अपने बच्चों की तरह उन्हें देखना होता है. आपको उनसे पूछना होता है कि अभ्यास के लिए क्यों नहीं आए.
बावा ने कहा, आपको माता-पिता से पूछना होगा कि वे कहां गए थे. एक कोच में इस तरह का अनुशासन होना चाहिए. बावा ने स्वीकार किया कि वह काफी बड़े खिलाड़ी नहीं थे, लेकिन अपने मूल मंत्रों पर चलते हुए जमीनी स्तर पर सफल कोच बने. इस कोच का हालांकि मानना है कि उन्हें पुरस्कार जल्दी मिल गया.
उन्होंने का, द्रोणाचार्य पुरस्कार सोने पर सुहागा की तरह है, लेकिन मुझे काफी पुरस्कार मिले हैं इसलिए यह मेरे लिए हैरानी भरा नहीं है क्योंकि किसी ना किसी दिन मुझे यह मिलता. बावा ने कहा, पात्रता नियम कड़े हैं इसलिए आज या कल यह मिलना था, लेकिन यह उम्मीद से पहले मिल गया। यह काफी बड़ा लम्हा है.