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बीसीसीआई को लोढ़ा समिति की रिपोर्ट का इंतजार

नयी दिल्ली : विवादों के बाद अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुटे बीसीसीआई को न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की रिपोर्ट का इंतजार है जो कल क्रिकेट बोर्ड में सुधारवादी कदमों की सिफारिश करेगी. न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएम लोढ़ा, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भान और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरवी रवींद्रन की तीन सदस्यीय समिति ने उच्चतम न्यायालय को अपनी […]

नयी दिल्ली : विवादों के बाद अपनी छवि सुधारने की कोशिश में जुटे बीसीसीआई को न्यायमूर्ति लोढ़ा समिति की रिपोर्ट का इंतजार है जो कल क्रिकेट बोर्ड में सुधारवादी कदमों की सिफारिश करेगी.

न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरएम लोढ़ा, न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) अशोक भान और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आरवी रवींद्रन की तीन सदस्यीय समिति ने उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपने की तैयारी कर ली है. बीसीसीआई की नजरें इस बीच सुनवाई पर टिकी हैं कि उच्चतम न्यायालय इन सिफारिशों को उसके लिए बाध्यकारी करता है या नहीं.

इस तरह की खबरें हैं कि समिति सिफारिश कर सकती है कि राजनेता बोर्ड का हिस्सा नहीं हो जिसे सोसाइटी के रुप में चलाया जाता है और जो तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के अंतर्गत पंजीकृत है. सभी कार्यकारी पदाधिकारी मानद अधिकारी हैं जिसमें शीर्ष राज्य संघों का संचालन राजनेता, नौकरशाह या बडो उद्योगपति कर रहा है.

बंगाल क्रिकेट संघ के अध्यक्ष सौरव गांगुली और मुंबई क्रिकेट संघ के उपाध्यक्ष दिलीप वेंगसरकर को छोड़कर कोई भी शीर्ष क्रिकेटर राज्य संघों में बड़ी भूमिका नहीं निभा रहा है. रिपोर्ट में जिस दूसरे विवादास्पद मुद्दे पर से निपटा जा सकता है उसमें ‘हितों का टकराव’ शामिल है.

समिति साथ ही आईपीएल को धारा आठ के तहत अलग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने का सुझाव भी दे सकती है जिसे अपना पूरा लाभ पुन: निवेश करना होगा. सबसे विवादास्पद मुद्दा समिति की राजनेताओं पर सिफारिश हो सकती है जो बोर्ड में शीर्ष पदों पर बैठे हैं. ऐसे किसी भी कदम से पहले की नाराज बीसीसीआई के कई सदस्यों ने कहना शुरु कर दिया है कि यह सुनिश्चित करना मुश्किल है कि सिर्फ पूर्व खिलाड़ी ही अच्छे प्रशासक साबित हो सकते हैं.

उनका मानना है कि फ्रांस के महान फुटबॉलर और अब यूएफा के दागी पूर्व अध्यक्ष माइकल प्लातिनी उदाहरण हैं कि अगर शीर्ष खिलाड़ी प्रशासन में आता है तो भी चीजें बिगड सकती हैं. अगर आमूलचूल बदलावों का सुझाव दिया जाता है जो कानूनी रुप से बाध्य हों तो फिर आईसीसी विश्व टी20 से पहले प्रशासन में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है.

एक वरिष्ठ राजनेता और बीसीसीआई के बडे अधिकारी ने सवाल उठाया, ‘‘क्या ऐसा गारंटी है कि पूर्व खिलाड़ी राजनेता से खेल प्रशासक बने लोगों से बेहतर काम कर सकते हैं. अगर ऐसा है तो क्योंकि फिर माइकल प्लातिनी पर वित्तीय अनियमितता के आरोप में आठ साल का प्रतिबंध क्यों लगा.” उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई के सबसे शानदार और दूरदर्शी अध्यक्षों में से एक दिवंगत एनकेपी साल्वे थे.

इसी तरह दिवंगत जगमोहन डालमिया उद्योगपति थे और आईएस बिंद्रा नौकरशाह. क्या इन्होंने बीसीसीआई को वित्तीय रुप से स्थिर संगठन नहीं बनाया.” बीसीसीआई के शीर्ष अधिकारियों पर उन्होंने कहा, ‘‘हम सभी राज्य संघों के चुने हुए सदस्य हैं. हम लोकतांत्रिक चुनावी प्रक्रिया के जरिये आए हैं. हमारा मानना है कि एक व्यक्ति गलत हो सकता है लेकिन उसके पेशे से जुड़े सभी लोग नहीं.”

Prabhat Khabar Digital Desk
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