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आखिर क्यों नहीं मिली शिवनारायण चंद्रपाल को वेस्टइंडीज टीम में जगह?

शिवनारायण चंद्रपाल वेस्टइंडीज के कद्दावर बैट्समैन रहे हैं, लेकिन अब उनका बल्ला साथ नहीं दे रहा है, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाले वेस्टइंडीज की टीम में उन्हें अंतिम 14 में जगह नहीं मिली. हालांकि शिवनारायण चंद्रपाल का कैरियर अब समाप्ति की ओर है और उन्हें विदाई के लिए एक टेस्ट मैच की जरूरत […]

शिवनारायण चंद्रपाल वेस्टइंडीज के कद्दावर बैट्समैन रहे हैं, लेकिन अब उनका बल्ला साथ नहीं दे रहा है, जिसके कारण ऑस्ट्रेलिया दौरे पर जाने वाले वेस्टइंडीज की टीम में उन्हें अंतिम 14 में जगह नहीं मिली. हालांकि शिवनारायण चंद्रपाल का कैरियर अब समाप्ति की ओर है और उन्हें विदाई के लिए एक टेस्ट मैच की जरूरत थी, जिसके जरिये वे अपने कैरियर की समाप्ति की घोषणा कर पाते, लेकिन उन्हें इसका भी अवसर नहीं मिला है. हालांकि क्रिकेट जगत और वेस्टइंडीज क्रिकेट के दिग्गज क्रिकेटर ब्रायन लारा ने उन्हें टीम में जगह दिये जाने की सिफारिश की थी, लेकिन क्लाइव लायड इसके पक्ष में नहीं थे. क्लाइव लायड का मानना था कि अब वे चूक गये हैं, उनके सोच का समर्थन पूर्व गेंदबाज माइकल होल्डिंग ने भी किया है. परिणाम यह हुआ कि जब ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए वेस्टइंडीज टीम की घोषणा की गयी, तो उसमे शिवनारायण चंद्रपाल का नाम नहीं था.

कभी वेस्टइंडीज क्रिकेट में तूती बोलती थी जिनकी
शिवनारायण चंद्रपाल वेस्टइंडीज के ऐसे बल्लेबाज थे, जिन्होंने164 टेस्ट और 268 एकदिवसीय मैच खेले हैं. चंद्रपाल ने टेस्ट जीवन में 30 शतक और 66 अर्धशतक बनाये हैं,जबकि एकदिवसीय खेलों में उन्होंने 11 शतक और 59 अर्धशतक बनाये हैं. चंद्रपाल परंपरा के विपरीत बल्लेबाजीकरने के लिए जाने जाते रहे हैं. वे वर्ष 2004 में ब्रायन लारा की जगह वेस्टइंडीज टीम के कप्तान बने.उन्होंने 14 टेस्ट और 16 एकदिवसीय मैचों में टीम की कप्तानी की है.
संन्यास के लिए एक अदद मैच की थी जरूरत
इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोई भी क्रिकेटर तब तक ही टीम का हिस्सा रहता है, जबतक कि उसका प्रदर्शन अच्छा रहता है. पिछले काफी समय से चंद्रपाल का बल्ला उनका साथ नहीं दे रहा था, जिसकी वजह से उन्हें टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. लेकिन जिस खिलाड़ी ने दो दशक तक अपना सबकुछ टीम को को दिया उसे क्या एक मैच विदाई के लिए नहीं दिया जाना चाहिए
आखिर ससम्मान क्यों नहीं होती क्रिकेटरों की विदाई
क्रिकेट के इतिहास में बहुत कम ही ऐसे क्रिकेटर हुए हैं, जिनकी विदाई क्रिकेट के मैदान सेस सम्मान हुई है. ऐसे खिलाड़ियों में सचिन तेंदुलकर का नाम सबसे ऊपर आता है. लेकिन अधिकतर खिलाड़ी इस स्थिति को प्राप्त नहीं कर पाते हैं. आखिर क्यों समय रहते खिलाड़ी अपनी विदाई की घोषणा नहीं कर देते हैं, ताकि कोई उनके प्रदर्शन पर सवाल उठा ही ना पाये, जैसा कि भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने किया.

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