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टीम मैनेजमेंट ने धौनी को सातवें नंबर पर उतारकर की गलती, अगर पहले खेलने आते, तो परिणाम कुछ और होता…

रांची : क्रिकेट विश्वकप 2019 में भारत की तमाम संभावनाएं उस वक्त धूमिल हो गयीं जब महेंद्र सिंह धौनी रन आउट होकर पवेलियन लौट गये. इस रन आउट के साथ ही भारत विश्वकप से बाहर हो गया, लेकिन एक सवाल टीम मैनेजमेंट पर उठ गया है कि आखिर क्यों सेमीफाइनल मुकाबले में जब टीम की […]

रांची : क्रिकेट विश्वकप 2019 में भारत की तमाम संभावनाएं उस वक्त धूमिल हो गयीं जब महेंद्र सिंह धौनी रन आउट होकर पवेलियन लौट गये. इस रन आउट के साथ ही भारत विश्वकप से बाहर हो गया, लेकिन एक सवाल टीम मैनेजमेंट पर उठ गया है कि आखिर क्यों सेमीफाइनल मुकाबले में जब टीम की हालत इतनी खराब थी उसके बाद भी महेंद्र सिंह धौनी को सातवें नंबर पर बैटिंग के लिए भेजा गया?

मात्र पांच रन पर गिर गये थे तीन विकेट

कल भारत की शुरुआत बहुत ही खराब हुई थी और दोनों ओपनर रोहित शर्मा और केएल राहुल मात्र एक-एक रन बनाकर आउट हो गये थे. वहीं कप्तान विराट भी कुछ नहीं कर पाये और मात्र एक रन बनाकर आउट हो गये थे. ऐसे में टीम मैनेजमेंट ने धौनी पर भरोसा दिखाने की बजाय ऋषभ पंत को मैदान में उतारा, जिनके पास अनुभव का कोई रिकॉर्ड नहीं है और ना ही विश्वकप में खेले हैं. बेशक पंत प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन उनके पास मात्र नौ टेस्ट छह वनडे और 15 टी-20 का अनुभव है. ऐसे में वरीयता किसे देनी चाहिए यह बात टीम मैनेजमेंट को समझनी चाहिए थी. लेकिन टीम ने पंत के बाद भी दिनेश कार्तिक और हार्दिक पांड्‌या को मौका दिया ना कि धौनी को. पंत ने 56 पर 32 रन बनाये थे, वहीं कार्तिक ने 25 गेंद पर छह रन और पांड्‌या ने 62 गेंद पर 32 रन.

धौनी चौथे नंबर पर आते तो मैच का परिणाम कुछ और होता

न्यूजीलैंड के हाथों भारत को मिली पराजय के बाद सचिन तेंदुलकर ने यह बयान दिया था कि हमेशा मैच को फिनिश करने का दबाव धौनी पर ही क्यों हो? वे बहुत बार ऐसा कर चुके हैं मात्र 240 रन के लक्ष्य को भारतीयों के प्रदर्शन ने बहुत कठिन लक्ष्य बना दिया. उसके बाद कई लोग धौनी के समर्थन में आकर बयान दे चुके हैं. सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण ने भी धौनी के बैटिंग आर्डर पर सवाल उठाकर टीम मैनेजमेंट को कठघरे में खड़ा कर दिया है.

धौनी ने कई बार चौथे नंबर पर की है शानदार बल्लेबाजी

महेंद्र सिंह धौनी ने कई बार चौथे नंबर पर बल्लेबाजी की है और उसके परिणाम हमेशा अच्छे आये हैं. 2011 के विश्वकप का फाइनल इसका बेहतरीन उदाहरण है जब धौनी ने युवराज सिंह को रोककर खुद मैदान में इंट्री की थी और विश्व कप जीता था.

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