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1987 वर्ल्ड कप : नियम बदलते ही बदल गया विजेता, पहली बार ऑस्ट्रेलिया बना विश्व चैंपियन

1987 के विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की थी. इंग्लैंड में लगातार तीन विश्व कप का आयोजन होने के बाद 1987 का विश्व कप पहली बार बाहर हुआ. 1983 के विश्व कप में जीत हासिल करने के कारण भारतीय उपमहाद्वीप का दावा मजबूत हुआ. इस विश्व कप में सबसे […]

1987 के विश्व कप की मेजबानी भारत और पाकिस्तान ने संयुक्त रूप से की थी. इंग्लैंड में लगातार तीन विश्व कप का आयोजन होने के बाद 1987 का विश्व कप पहली बार बाहर हुआ. 1983 के विश्व कप में जीत हासिल करने के कारण भारतीय उपमहाद्वीप का दावा मजबूत हुआ. इस विश्व कप में सबसे खास बात यह थी कि पहली बार कुल ओवरों की संख्या 60 से घटाकर 50 कर दी गयी.

इस विश्व कप में आठ टीमों को शामिल किया गया, जिन्हें दो ग्रुप में विभाजित किया गया. ग्रुप ए में भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे की टीमें थी, तो ग्रुप-बी में पाकिस्तान, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज और श्रीलंका की टीमें थी.

भारत शानदार प्रदर्शन कर अपने ग्रुप में शीर्ष पर रहा. ग्रुप बी से पाकिस्तान की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और शीर्ष स्थान हासिल किया. पहली बार वेस्टइंडीज की टीम सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पायी. पहले सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला पाकिस्तान से हुआ. पाकिस्तान को हरा कर ऑस्ट्रेलिया ने दूसरी बार फाइनल में जगह बनायी. दूसरे सेमीफाइनल में मेजबान भारत का मुकाबला था इंग्लैंड से. मुंबई की पिच पर ग्राहम गूच और माइक गैटिंग ने स्वीप शॉट खेल-खेलकर भारतीय गेंदबाजों के छक्के छुड़ा दिये और 19 ओवर में 117 रन बना डाले.

इंग्लैंड ने 50 ओवर में छह विकेट पर 254 रन बनाये. भारत के लिए यह स्कोर भारी पड़ा और पूरी टीम 219 रन बनाकर आउट हो गयी. भारत की टीम 35 रनों से हारकर विश्व कप से बाहर हो गयी. फाइनल कोलकाता के इडेन गार्डेंस में खेला गया. फाइनल में इंग्लैंड को ऑस्ट्रेलिया ने हरा कर पहली बार खिताब जीता.

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