Navratri 2020 kab hai, Date, Time, Tarikh, Puja Vidhi, mantra, kalash sthapana, shubh muhurt, Puja Samagri: इस बार दुर्गा मां की पूजा दुर्लभ योग में होगी. 1962 के बाद इस बार नवरात्रि में ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है. 1962 में नवरात्रि 29 सितंबर से शुरू हुई थी. वहीं इस बार नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है. 2020 की नवरात्रि बेहद दुर्लभ संयोग में मनेगा. नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है जो 25 अक्टूबर तक रहेगी. नवरात्रि के पहले दिन सूर्य देव भी राशि परिवर्तन कर रहे है. सूर्य का यह राशि परिवर्तन मानव जीवन पर बहुत बड़ा असर डालेगा. इस बार सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर रहे है. तुला राशि में बुध पहले से ही वक्री रहेंगे. इस कारण बुध-आदित्य योग बनेगा. इसके साथ ही 58 साल बाद शनि-गुरु का भी दुर्लभ योग बन रहा है. इस नवरात्रि में शनि मकर में और गुरु धनु राशि में रहेंगे. ये दोनों ग्रह 58 साल बाद नवरात्रि में एक साथ अपनी-अपनी राशि में स्थित रहेंगे. 1962 के बाद इस बार नवरात्रि में ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है. आइए जानते है कि इस बार की नवरात्रि मानव जीवन पर कैसा असर डालेगा...
17 अक्टूबर- मां शैलपुत्री पूजा घटस्थापना
18 अक्टूबर- मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर- मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर- मां कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर- मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर- षष्ठी मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर- मां कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर- मां महागौरी दुर्गा पूजा
25 अक्टूबर- मां सिद्धिदात्री पूजा
नवरात्रि का पर्व 17 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. पंचांग के अनुसार इस दिन आश्चिन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. इस दिन घट स्थापना मुहूर्त का समय सुबह 06 बजकर 27 मिनट से 10 बजकर 13 मिनट तक रहेगा. घटस्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 44 मिनट से 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा.
व्रत-उपवास में माता जी की पूजा करने के बाद ही फलाहार करें. यानि सुबह माता जी की पूजा के बाद दूध और कोई फल ले सकते हैं. व्रत के दौरान नमक नहीं खाना चाहिए. उसके बाद दिनभर मन ही मन माता जी का ध्यान करते रहें. शाम को फिर से माता जी की पूजा और आरती करें. इसके बाद एक बार और फलाहार कर सकते हैं. अगर न कर सके तो शाम की पूजा के बाद एक बार आप भोजन कर सकते हैं.
नवरात्रि में सुबह जल्दी उठना चाहिए और नित्यकर्म और स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें और पूजा घर को साफ करें. इसके बाद नवरात्रि में मां दुर्गा की आराधना करने से पहले सभी तरह की पूजा सामग्रियों को एक जगह एकत्रित कर लें. इसके बाद मां दुर्गा की फोटो को लाल रंग के कपड़े में रखें. फिर पूजा की थाली को सजाएं उसमें सभी तरह की पूजा सामग्री को रखें. मिट्टी के पात्र में जौ के बीज को बोएं और नौ दिनों तक उसमें पानी का छिड़काव करें. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर शुभ मुहूर्त में कलश को लाल कपड़े में लपटेकर स्थापित करें. कलश में गंगाजल डाले और आम की पत्तियां रखकर उस पर जटा नारियल रखें.
सूर्य का यह राशि परिवर्तन मानव जीवन पर बहुत बड़ा असर डालेगा. इस बार सूर्य तुला राशि में प्रवेश कर रहे है. तुला राशि में बुध पहले से ही वक्री रहेंगे. इस कारण बुध-आदित्य योग बनेगा. इसके साथ ही 58 साल बाद शनि-गुरु का भी दुर्लभ योग बन रहा है. इस नवरात्रि में शनि मकर में और गुरु धनु राशि में रहेंगे. ये दोनों ग्रह 58 साल बाद नवरात्रि में एक साथ अपनी-अपनी राशि में स्थित रहेंगे. 1962 के बाद इस बार नवरात्रि में ऐसा अद्भुत संयोग बन रहा है.
इस बार 17 अक्टूबर से नवरात्र शुरू हो रहा है. इस दिन शनिवार है, इसलिए मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली है. देवी भागवत पुराण के अनुसार जब माता दुर्गा नवरात्रि पर घोड़े की सवारी करते हुए आती हैं तब पड़ोसी से युद्ध, गृह युद्ध, आंधी-तूफान और सत्ता में उथल-पुथल जैसी गतिविधियां बढ़ने की संभावना रहती है.
मेष- इस राशि के लिए विवाह के योग बन सकते हैं. प्रेम में सफलता मिल सकती है. नवरात्रि में नौ दिनों तक मां की आराधना जरूर करें.
वृष - इन लोगों को को शत्रुओं पर विजय मिलेगी. रोगों में लाभ होगा. नवरात्रि में मां की उपासना करें.
मिथुन - संतान सुख मिलने के योग हैं. नौकरी में प्रमोशन और धन लाभ मिल सकता है. इस बार आप नवरात्रि व्रत रखें.
कर्क - माता से सुख मिलेगा. वैभव बढ़ेगा. कार्यों में सफलता के साथ सम्मान मिलेगा. दुर्गा माता की पूजा करें.
सिंह - आपका पराक्रम अच्छा रहेगा. आशा के अनुरूप फल प्राप्त होंगे. भाई से मदद मिलेगी. नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा करें.
कन्या - स्थाई संपत्ति से लाभ हो सकता है. धन वृद्धि के योग बन रहे हैं. दुर्गा माता की पूजा करें.
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