Chandra Grahan November 2020 Date and Time in India: आज कार्तिक पूर्णिमा है. आज देव दीपावली भी मनाई जाती है. वहीं आज दोपहर से इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse Nov 2020) भी लगा. ज्योतिष शास्त्र में चंद्रग्रहण को बहुत अधिक प्रभावशाली माना जाता है. यह चंद्र ग्रहण 30 नवंबर दिन सोमवार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को लगा यानि कि आज. आज लगने वाला यह ग्रहण कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहा. जबकि, 3:13 मिनट पर यह अपने चरम पर रहा. ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में इस बार का चंद्रगहण पड़ा. यह चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में दिखाई दिया.
साल 2020 का अंतिम चंद्रग्रहण खत्म हो चुका है. अब साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर 2020 को लगेगा. यह सूर्य ग्रहण साल का आखिरी सूर्य ग्रहण होगा, इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून 2020 को लगा था. बताते चले कि इस साल में कुल छह ग्रहण लगने हैं जिनमें से चार चंद्र ग्रहण और दो सूर्य ग्रहण हैं. माना जाता है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव हमारी राशियों पर पड़ता है. जिसके चलते मानव जीवन प्रभावित होता है. भारत में यह सूर्यग्रहण 14 दिसंबर 2020 की शाम को 07:03 बजे शुरू हो जाएगा और सूर्यग्रहण की समाप्ति 14 दिसंबर 2020 की मध्यरात्रि उपरान्त यानि 15 दिसंबर 2020 की 12:23 बजे पर होगी. इस सूर्यग्रहण लगभग पांच घंटे का होगा.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के दौरान भगवान कुछ समय के लिए कष्ट में होते हैं. ऐसे में कष्ट को कम करने ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना शुभफलदायक होता है. चंद्रग्रहण के दौरान इस मंत्र का जाप करना चाहिए.
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृत तत्वाय धीमहि तन्नोः चन्द्रः प्रचोदयात्
चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले लगने वाले सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं. सूतक काल में पूजा-पाठ भी नहीं की जाती है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं. कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में छोंक, तड़का, धारदार और नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए. सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे का होता है.
ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण यह इतना प्रभावशाली नहीं होगा। देश और दुनिया पर इस ग्रहण का खास प्रभाव नहीं देखा जा सकेगा, लेकिन ग्रहण के कारण लोगों की मानसिक स्थिति में प्रभाव जरूर पड़ेगा. इसके अलावा सेहत पर भी यह विपरीत प्रभाव डाल सकता है। ऐसे में ग्रहण से बचने के लिए ज्योतिष में बताए गए उपाय जरूर करें.
मान्यता हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, नहीं तो चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है. चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे
कुछ ही मिनट में इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लग जाएगा. ग्रहण काल के समय मांस या मदिरा पान का सेवन भी नहीं करना चाहिए. ग्रहण काल की अवधि में सोने से भी बचना चाहिए.
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan 2020) अब से कुछ घंटे बाद लगने वाला है. ये ग्रहण 4 घंटे 21 मिनट तक रहेगा. हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण काल में कुछ चीजों की मनाही होती है. हालांकि साल का ये आखिरी चंद्र ग्रहण एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण है. माना गया है कि इसका इंसान के जीवन पर सीधे कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. हालांकि राशियों के परिवर्तन के कारण ज्योतिष गणना में इसकी मान्यता है.
चंद्र ग्रहण के दौरान पानी पीने से भी बचना चाहिए. अगर आप बीमार हैं या आप गर्भवती हैं तो आप हल्का गर्म पानी पी सकते हैं. इसमें तुलसी का पत्ता डालकर जूस पी सकते हैं. इसके साथ ही अगर आप सादा पानी नहीं पीना चाहते तो नारियल का पानी पी सकते हैं. सबसे बेहतर यह होगा कि आप ग्रहण से पहले ही अच्छी मात्रा में पानी पी लें.
मान्यता हैं कि चंद्रग्रहण के दौरान विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, नहीं तो चंद्रग्रहण के नकारात्मक प्रभावों को सहना पड़ सकता है. चंद्रग्रहण में इस बात का खास ख्याल रखें कि आप और आपके परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रग्रहण के समय चंद्रमा की ओर ना देखे और ना ही चांद की रोशनी में बैठे.
साल 2020 का आखिरी चंद्र ग्रहण 30 नवंबर यानी अब से कुछ घंटों बाद लगने वाला है. यह चंद्र ग्रहण कई मायनों में खास है. इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा का पर्व भी देशभर में मनाया जा रहा है. कार्तिक शुक्ल पक्षी की पूर्णिमा तिथि गंगा स्नान, पूजा इत्यादि के लिए खास मानी जाती है वहीं इसी दिन इस बार साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार का ग्रहण वृषभ राशि में लगेगा. साथ ही इस दिन रोहिणी नक्षत्र भी है.
साल का यह आखिरी चंद्र ग्रहण (Last Lunar Eclipse of The Year) एशिया, ऑस्ट्रेलिया (Australia), प्रशांत महासागर और अमेरिका (America) के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. यह चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण के शुरू होने से 9 घंटे पहले सूतक लग जाता है. हालांकि यह चंद्र ग्रहण एक उपछाया ग्रहण है और भारत में दिखाई नहीं देगा. इसीलिए यहां इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कार्तिक पूर्णिमा आज है. ये कार्तिक महीने का आखिरी दिन होता है. वहीं इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण कल ही लग रहा है. स्नान और दान के लिहाज से यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है. सर्वार्थसिद्धि योग व वर्धमान योग इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन रहेंगे. ये दो शुभ संयोग इस पूर्णिमा को और भी खास बना रहे हैं.
इस बार 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा. हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई न देने के कारण इसका प्रभाव और सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा. शास्त्रानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग होने से जप, तप, दान व धर्म-कर्म का लाभ कई गुणा अधिक प्राप्त होता है.
चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले लगने वाले सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं. सूतक काल में पूजा-पाठ भी नहीं की जाती है. इस दौरान मंदिर के कपाट भी बंद रहते हैं. कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं को सूतक काल में छोंक, तड़का, धारदार और नुकीली वस्तुओं से दूर रहना चाहिए. सूर्य ग्रहण में सूतक काल 12 घंटे का होता है.
इस बार ये चंद्रग्रहण बेहद खास माना जा रहा है. दरअसल इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है. इसी दिन कार्तिक स्नान खत्म होगा. इसके अलावा इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का 551वां जन्मदिन भी मनाया जाएगा. बता दें, 30 नवंबर को चंद्र ग्रहण लगेगा. इसी दिन कार्तिक पूर्णिमा भी है और सोमवार का दिन है.
धार्मिक मान्यता के अनुसार तो जब कभी भी चंद्र या सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है तो सूतक लगता है. इस दौरान पूजा-पाठ और मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं, लेकिन इस बार लग रहे उपछाया ग्रहण से सूतक कोई प्रभाव नहीं होगा, इस दिन भी आम दिनों की तरह मंदिर खुला रहेगा और सभी धार्मिक कार्यक्रम जारी रहेंगे.
विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के अनुसार, आमजन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए टेलीस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण दिखाने की व्यवस्था की गई है. केंद्र में आम लोगों के लिए शाम 5:00 बजे से लेकर 5:22 तक चंद्रग्रहण देखने की सुविधा रहेगी. वहीं, कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए किसी भी व्यक्ति को टेलीस्कोप छूने की इजाजत नहीं होगी. हर बार टेलीस्कोप को सैनिटाइज करने के बाद ही दूसरे व्यक्ति को ग्रहण देखने के लिए दिया जाएगा.
उपछाया चंद्र ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा धरती की वास्तविक छाया में न आकर उसकी उपछाया से ही वापस लौट जाता है. आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि उपछाया चंद्र ग्रहण का कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होता है. कुछ राशियों पर इसका असर पड़ेगा, लेकिन ग्रहण के दौरान किसी भी तरह का लोकाचार करने की जरूरत नहीं है.
चंद्र ग्रहण के शुरू होने से पहले चंद्रमा धरती की उपछाया में प्रवेश करता है. जब चंद्रमा पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल आता है तो उसे उपछाया ग्रहण कहते हैं. चंद्रमा जब धरती की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है, तभी उसे पूर्ण रूप से चंद्रग्रहण माना जाता है.
मान्यता है कि ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं को किसी भी नुकीली वस्तु का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इनमें चाकू, कैंची, सूई और तलवार आदि शामिल हैं. साथ ही इस दौरान सोना, खाना, पीना, नहाना और किसी की बुराई करने पर भी पाबंदी होती है. ज्योतिष के अनुसार सूतक काल शुरू होने से लेकर उसका समय पूरा होने तक गर्भवती महिलाओं को अपने हाथ-पैर बिना मोड़े, हाथ में नारियल लेकर बैठना चाहिए और ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान कर इस नारियल को जल में प्रवाहित कर देना चाहिए.
श्रीकृष्ण विज्ञान केंद्र में आकाश दर्शन का कार्यक्रम होने वाला है. इसमें सोमवार को लगने वाले चंद्रग्रहण को आम लोगों को दिखाया जाएगा. केंद्र के डायरेक्टर अमिताभ ने बताया, यह साल का अंतिम चंद्रग्रहण है और यह अन्य ग्रहणों से खास और महत्वपूर्ण है. इस ग्रहण में सूर्य से चंद्रमा पर सीधे नीचे जाने वाले प्रकाश का कुछ हिस्सा पृथ्वी पर आकर उसकी बाहरी परछाईं रोक देगा. इसी कारण इस बार चंद्रमा की चमक मध्यम दिखाई पड़ेगी. निदेशक के अनुसार यह खगोलीय घटना दोपहर 01 बजकर 04 मिनट से शुरू होकर शाम 5 बजकर 22 मिनट तक होगी. हालांकि, दिन में ग्रहण के समय चंद्रमा क्षितिज के बीच होने के कारण यह राजधानी के लोगों को शाम के समय सिर्फ 22 मिनट तक ही दिखाई देगा.
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर सोमवार की शाम पांच बजे से बिहार की राजधानी में चंद्रग्रहण दिखाई देगा. यहां पर 5 बजे से 5 बजकर 22 मिनट तक चंद्रग्रहण देखा जा सकता है. वहीं दिन में अपराह्न 1 बजकर 4 मिनट से ही चंद्र ग्रहण प्रारंभ हो जाएगा, जो शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
बिहार की राजधानी पटना के विज्ञान केंद्र के अधिकारियों के अनुसार, आमजन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए टेलीस्कोप के माध्यम से चंद्रग्रहण दिखाने की व्यवस्था की गई है. केंद्र में आम लोगों के लिए शाम 5 बजे से लेकर 5 बजकर 22 मिनट तक चंद्रग्रहण देखने की सुविधा रहेगी. वहीं, कोरोना संक्रमण की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए किसी भी व्यक्ति को टेलीस्कोप छूने की इजाजत नहीं होगी. हर बार टेलीस्कोप को सैनिटाइज करने के बाद ही दूसरे व्यक्ति को ग्रहण देखने के लिए दिया जाएगा.
- ग्रहण के दौरान खासकर गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलना वर्जित होता है.
- ऐसी मान्यता है कि इस दौरान यदि व ग्रहण देख लेंगी तो इसका सीधा और नकारात्मक असर बच्चे के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है.
- बच्चे का जन्म लाल चक्रों या धब्बे के साथ हो सकते है साथ ही साथ अन्य त्वचा संबंधी रोग भी संभव है.
- गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपने पास नुकीली चीजें रखनी चाहिए. इसके लिए वे चाकू, कैंची, सुई आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे शिशु व गर्भवती महिला की दोनों पर ग्रहण का काला साया नहीं पड़ता है.
- हालांकि, नुकीली चीजें रखने समय यह ध्यान देना जरूरी है कि इससे शरीर के किसी अंग को हानि न पहुंचे.
- ग्रहण के दौरान बचा हुआ खाना भी नहीं खाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण की हानिकारक किरणों से भोजन दूषित हो जाता है.
साल का आखिरी चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. हालांकि इस चंद्र ग्रहण का असर भारत में नहीं पड़ेगा.
ज्योतिषियों के अनुसार सभी ग्रहण का एक सूतक काल होता. सूतक काल ग्रहण लगने से पहले ही शुरू हो जाता है. इस दौरान ध्यान और मंत्र जाप के अलावा कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता. अगर उपच्छाया ग्रहण है तो कोई सूतक काल नहीं होगा. लेकिन ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाएं अपने घर के बुजुर्गों की सलाह के अनुसार कुछ उपाय जरूर अपना सकती हैं.
चंद्र ग्रहण 30 नवंबर यानि कल लग रहा है. यह इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण होगा, जो उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण का लगना अशुभ माना जाता है. ग्रहण में लगने वाले सूतक का विचार किया जाता है. ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि उपछाया चंद्र ग्रहण के कारण इस बार सूतक काल मान्य नहीं होगा.
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए. क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है. घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए. इससे भोजन दूषित नहीं होता है.
जब धरती की वास्तविक छाया पर ना पहुंच कर चंद्रमा उसकी उपच्छाया से ही लौट जाती है तो इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में चांद पर धुंधली परत भी बन जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसे ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं पड़ता. आमतौर पर ऐसे ग्रहण नंगी आंखों से नहीं दिख पाते हैं.
चंद्र ग्रहण 30 नवंबर यानि कल दोपहर में लग रहा है. यह चंद्र ग्रहण इस साल का आखिरी है, जो उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण का लगना अशुभ माना जाता है. ग्रहण में लगने वाले सूतक का विचार किया जाता है. ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि उपछाया चंद्र ग्रहण के कारण इस बार सूतक काल मान्य नहीं होगा.
कल जो ग्रहण लगेगा, वह उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. लेकिन गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी होगी. ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं के लिए अधिक विचार किया जाता है. माना जाता है कि ग्रहण के हानिकारक प्रभाव से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका नकारात्मक असर होता है. इसलिए गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान बाहर नहीं निकलने की सलाह दी जाती है.
जब चन्द्रमा पृथ्वी की धूसर छाया में से होकर गुजरता है तो इस तरह की परिस्थिति बनती है. इसे उपच्छाया चन्द्रग्रहण कहते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस दौरान मंदिर आदि बंद नहीं किए जाएंगे. पूजा-पाछ को लेकर भी कोई नियम आदि नहीं माना जाएगा. दरअसल यह उपछाया चंद्रग्रहण है.