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एस्ट्रो टिप्स : योग मुद्रा में सूर्यदेव को जल चढ़ाना लाभदायी

धर्म में आस्था रखनेवाले लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं. इसके पीछे रंगों का विज्ञान भी है. हमारे शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ने से कई रोग होने का खतरा होता है. सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर में ये रंग संतुलित हो जाते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ताम्र पात्र में […]

धर्म में आस्था रखनेवाले लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं. इसके पीछे रंगों का विज्ञान भी है. हमारे शरीर में रंगों का संतुलन बिगड़ने से कई रोग होने का खतरा होता है.
सुबह सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शरीर में ये रंग संतुलित हो जाते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. ताम्र पात्र में जल भरकर सूर्योदय के पश्चात सूर्य नमस्कार की योग मुद्रा में जल गिराते हुए धार में सूर्य की प्रकाश रश्मियों को एकाग्रता से देखना लाभदायी है. रंगों का यह विज्ञान ज्योतिष शास्त्र व रत्न विज्ञान के साथ भी जुड़ा है. रंगों के आधार पर ही रत्नों का चयन किया जाता है.
किसी भी ग्रह की निगेटिव एनर्जी को विशेष रंग के प्रयोग से परावर्तित या अपवर्तित किया जा सकता है. शिवलिंग ब्रह्मांड का प्रतिनिधि है. जितने भी ज्योतिर्लिंग हैं, उनके आसपास सर्वाधिक न्यूक्लियर सक्रियता पायी जाती है. यही कारण है कि शिवलिंग की तप्तता को शांत रखने के लिए उन पर जल सहित बेलपत्र, धतूरा जैसे रेडियोधर्मिता को अवशोषित करनेवाले पदार्थों को चढ़ाया जाता है.

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