पटना : दीपावली के ठीक अगले दिन यानी आज गोवर्धन पूजा मनाया जा रहा है. इसके बाद नौ नवंबर को भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा का त्योहार मनाया जायेगा. गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं. हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है. शास्त्रों के अनुसार गाय गंगा नदी के समान पवित्र होती है. यहां तक गाय को मां लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है. कहा जाता है भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर रखा था, जिसके नीचे सभी गोप और गोपिकाओं ने आश्रय लिया था.
इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी. पांच दिवसीय दीपोत्सव का आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जायेगा. यह दिन भाई और बहनों के लिए समर्पित होता है. भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन बहन रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके अच्छे भविष्य की कामना करती है. कहा जाता है इस दिन जब यमराज यमी के पास पहुंचे तो यमी ने अपने भाई यमराज की खूब सेवा की, इससे खुश होकर यमराज ने अपनी बहन को ढेर सारा आशीष दिया. भाई दूज से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन ही मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे. इसी के बाद से भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा शुरू हुई. इस मौके पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके खुशहाल जीवन की कामना की. इसके बाद जब यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा, तो यमुना ने कहा कि, आप हर साल इस दिन मेरे घर आया करो और इस दिन जो भी बहन अपने भाई का तिलक करेगी उसे तुम्हारा भय अर्थात मृत्यु का भय न रहे. बहन यमुना के वचन सुनकर यमराज अति प्रसन्न हुए और उन्हें आशीष प्रदान किया.
मान्यता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके अलावा कायस्थ समाज में भाईदूज के दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा भी की जाती है. कायस्थ समाज में लोग अपने बहीखातों की पूजा भी करते हैं.
पूजा के दिन क्या करें
गोवर्धन पूजा के दिन बृजवासी गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं. बिहार में लोग अपनी गायों और बैलों को स्नान कराकर उन्हें रंग लगाते हैं और उनके गले में नयी रस्सी डाली जाती है. गाय और बैलों को गुड़ और चावल भी खिलाया जाता है. इस दिन एकमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से जीवन में सफलता, सम्मान और सुख की प्राप्ति होती है. भाईदूज में परंपरा के मुताबिक, भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है. ऋगवेद में वर्णन मिलता है कि यमुना ने अपने भाई यम को इस दिन खाने पर बुलाया था, इसीलिए इस दिन को यम द्वितिया के नाम से भी जाना जाता है. पद्मपुराण में इसका जिक्र मिलता है कि जो व्यक्ति इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करता है, वो साल भर किसी झगड़े में नहीं पड़ता व उसे शत्रुओं का भय नहीं होता है, यानी हर तरह के संकट से भाई को छुटकारा मिलता है और उसका कल्याण होता है.