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झारखंड प्रशासनिक सेवा बनेगी प्रीमियर सेवा, सीधे एसडीओ बनेंगे अफसर

ऐसे में क्षेत्रीय प्रशासन के लिए युवा और मेहनती अफसर की कमी हो रही है. इसका समाधान है कि उन्हें पहली नियुक्ति के अवसर पर एसडीओ या समकक्ष स्तर का पद दिया जाये.

मनोज लाल, रांची:

राज्य में झारखंड प्रशासनिक सेवा संवर्ग का पुनर्गठन कर प्रीमियर सेवा का गठन किया जायेगा. इसके साथ ही पदों की फिर से संरचना तैयार की जायेगी. वहीं प्रखंड और अंचल में पदस्थापन के लिए झारखंड राजस्व सेवा और झारखंड ग्रामीण विकास सेवा का गठन होगा. इस पर विचार कर राज्य सरकार को इसके लिए अनुशंसा करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है. कार्मिक, प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस कमेटी में सदस्य के रूप में विकास आयुक्त के साथ ही वित्त विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग तथा कार्मिक, प्रशासनिक सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, सचिव जो भी हैं, उन्हें रखा है. कमेटी तीन माह में अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को सौंपेगी.

कार्मिक की ओर से जारी संकल्प में लिखा गया है कि झारखंड प्रशासनिक सेवा के अफसर काफी उम्र होने पर एसडीओ या समकक्ष पद, एडीएम, संयुक्त सचिव, अपर सचिव, विशेष सचिव या आइएएस में प्रोन्नत होते हैं. ऐसे में क्षेत्रीय प्रशासन के लिए युवा और मेहनती अफसर की कमी हो रही है. इसका समाधान है कि उन्हें पहली नियुक्ति के अवसर पर एसडीओ या समकक्ष स्तर का पद दिया जाये. इससे वे ऊंचे पदों पर जा सकेंगे. इस स्थिति में सुपरवाइजर स्तर के अधिकारी प्रोन्नत होकर प्रखंडों और अंचलों में बीडीओ तथा सीओ का पद संभाल सकेंगे. वही कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर रह सकेंगे.

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बिहार के तर्ज पर गठन होगा

बिहार के तर्ज पर झारखंड में भी प्रीमियर सेवा का गठन होगा. बिहार में बिहार प्रशासनिक सेवा को राज्य सरकार ने प्रीमियर सेवा का दर्जा दिया है. इसके पीछे यह उद्देश्य था कि बिहार प्रशासनिक सेवा का पुनर्गठन कर इस सेवा के सदस्यों को प्रशासन के उच्च पदों पर कम आयु में पदस्थापित किया जा सके और उन्हें कार्य करने का बेहतर अवसर दिया जा सके.

क्यों गठित हुई थी बिहार में प्रीमियर सेवा

बिहार प्रशासनिक सेवा संवर्ग की संख्या और संरचना की समीक्षा के दौरान यह महसूस किया गया कि अन्य राज्यों की अपेक्षा बिहार प्रशासनिक सेवा के सदस्य बेसिक ग्रेड के पदों पर अत्यधिक लंबी अवधि तक पदस्थापित रहते हैं. इस कारण उच्चतर के पदों अनुमंडल पदाधिकारी, अपर समाहर्ता और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदों पर जब उनकी प्रोन्नति होती है, तब तक उनकी आयु काफी अधिक हो जाती है. इस कारण क्षेत्रीय प्रशासन में युवा तथा मेहनती पदाधिकारियों की कमी रहती है. नतीजा है कि उनकी प्रशासनिक क्षमता का पूरा उपयोग नहीं हो पाता है. ऐसे में बिहार प्रशासनिक सेवा का पुनर्गठन कर प्रशासनिक पदों पर अपेक्षाकृत कम आयु में पदस्थापित करने का अवसर दिया जा रहा है.

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