Mughal Harem Stories : राजकुमारियों की शादी कराने से डरते थे मुगल, अधिकतर राजकुमारियां आजीवन रहीं कुंवारी
Mughal Harem Stories : मुगल साम्राज्य में कई ऐसी राजकुमारियां हुईं, जिन्होंने अपनी बुद्धिमानी और चतुरता से केंद्रीय सत्ता पर अपनी पकड़ बनाकर रखी और अपना महत्व कम नहीं होने दिया. ऐसी राजकुमारियों में जहांआरा,रोशनआरा, जेबुन्निस्सा, बानो बेगम और अराम बानो का नाम सबसे ऊपर है, जो काफी पढ़ी-लिखी और सुसंस्कृत थीं.बावजूद इसके मुगलों ने इन लड़कियों की शादी नहीं करवाई. मुगल यह सोचते थे कि उनकी बेटियों की शादी उनके लिए परेशानी का सबब बन सकती है.
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Mughal Harem Stories : मुगल काल में सत्ता का संघर्ष बहुत आम था. बादशाह की कुर्सी के लिए साजिशें रची जाती थीं और किसी भी तरह तख्त पर कब्जा करने की कोशिश होती थी. इसकी सबसे बड़ी वजह यह थी कि मुगल अपना उत्तराधिकारी घोषित नहीं करते थे, जिसका परिणाम यह होता था कि राजा के बेटे जब युवा हो जाते थे, तो वे सत्ता के लिए संघर्ष शुरू कर देते थे और जो उस संघर्ष में विजयी होता था, वही बादशाह बन जाता था. शाहजहां, औरंगजेब जैसे बादशाह इसके उदाहरण हैं. यहां गौर करने वाली बात यह है कि मुगलों में सत्ता को लेकर इतना संघर्ष था कि वे अपनी बेटियों की शादी करने से बचते थे और अधिकतर जहीन राजकुमारियां कुंवारी रह गईं, क्योंकि उन्हें यह डर था कि अगर बेटियों की शादी हुई, तो उनके दामाद भी सत्ता पर दावा ठोक देंगे.
मुगलों ने बेटियों की शादी क्यों नहीं करवाई
मुगल अपनी बेटियों की शादी करवाने से बचते थे. इतिहासकार किशोरी शरण लाल ने अपनी किताब The Mughal Harem में उस दौर के लेखकों और चिकित्सकों बर्नियर और मनुची के हवाले से लिखा है कि मुगल खुद को श्रेष्ठ समझते थे, उन्हें यह समझ नहीं आता था कि वे भारत में अपनी बेटियों की शादी किससे करेंगे. वे रक्त की शुद्धता पर विश्वास करते थे, तैमूर और चंगेज खान के वंशज होने की वजह से उनमें श्रेष्ठता का भाव था, वे यह सोचते थे कि अगर भारतीयों से उनकी शादी हुई, तो उनका पवित्र रक्तवंश नहीं बचेगा. हालांकि यह नियम बेटों पर लागू नहीं था, मुगल अपने बेटों की शादी राजपूत राजकुमारियों से करते थे. इसके पीछे उनका राजनीतिक संबंध भी जिम्मेदार था.
उत्तराधिकार का संघर्ष बढ़ने की आशंका
मुगलों की सभी बेटियां कुंवारी रहीं हो, ऐसा भी नहीं है, लेकिन अधिकतर या यूं कहें कि प्रभावशाली राजकुमारियों की शादी नहीं कराई गई. मुगलों को इस बात का डर सताता रहता था कि अगर बेटियों की शादी हुई, तो उत्तराधिकार का संघर्ष मुगलों के बीच और बढ़ सकता है. दामाद शक्तिशाली होकर सत्ता पर अपना दावा ठोक सकता था, इन्हीं वजहों से मुगल अपनी बेटियों की शादी नहीं करवाते थे. इसी वजह से मुगलों की बेटियां अकसर कुंवारी ही रहती थीं, लेकिन राजकाज में उनकी रुचि थी और वे अपनी उपस्थिति दर्ज भी कराती थीं. ऐसी राजकुमारियों में शामिल थीं जहांआरा और रोशन आरा.
जहांआरा और रोशनआरा की सत्ता तक थी पहुंच
जहांआरा और रोशआरा शाहजहां की बेटियां थीं. जहांआरा मुमताज महल और शाहजहां की सबसे बड़ी औलाद थी. दोनों ही सुशिक्षित और संस्कारी थीं. जहांआरा के बारे में यह कहा जाता है कि उसे फारसी और कुरान की शिक्षा दी गई थी. उसने चिकित्सा विज्ञान की भी शिक्षा ली थी. चिकित्सक मनुची यह लिखते हैं कि जहांआरा एक बेहद सुंदर, विवेकशील और उदार महिला थी, जिसकी वजह से वह सबकी प्रिय भी थी.चूंकि मुमताज महल की मौत कम उम्र में ही हो गई थी, इसलिए जहांआरा पर हरम की देखभाल और उसे संचालित करने की बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी. उन्हें बेगम साहब कहा जाता था. जहांआरा पर शाहजहां बहुत विश्वास करता था और उसके भाई भी उससे प्रेम करते थे. जहांआरा का प्रभाव कितना था, उसे इस तरह समझा जा सकता है कि वह बादशाह की मुहर अपने पास रखती थी और विभिन्न दस्तावेजों में उसका इस्तेमाल करती थी.
शाहजहां ने जहांआरा से कहा था उसे विवाह की अनुमति देगा
शाहजहां ने जहांआरा से यह कहा था कि वह उसे विवाह की अनुमति देगा, लेकिन मुमताज महल की मौत के बाद परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि जहांआरा राजनीतिक कामकाज में ही उलझी रही और कभी विवाह नहीं कर पाई. दारा शिकोह को वह शाहजहां का उत्तराधिकारी मानती थी, जबकि उसकी बहन रोशनआरा औरंगजेब के साथ थी. रोशनआरा ने दारा शिकोह की हत्या करवाने में औरंगजेब का साथ दिया और उसे इस बात का कोई अफसोस भी नहीं था, जबकि जहांआरा ने अपना पूरा जीवन शाहजहां की देखभाल और मुगलिया सल्तनत को संवारने में गुजारा. औरंगजेब जो उम्र में उससे चार साल के करीब छोटा था, उसने भी जहांआरा का कभी अपमान नहीं किया.
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