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फेसबुक टूर के फोटो
आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार गरमी कष्टकारी है. उन घरों में तो और भी, जिनमें इन दिनों इस सवाल पर मार-धाड़ मचती है- वो गुप्ताजी तो देखो यूरोप गये हैं घूमने, फेसबुक पर फोटो लगायी हैं यूरोप टूर की. और हम हैं जो यहां सड़ रहे हैं… जब प्रतिद्वंदी पार्टी यूरोप में दीखती हो, तो फिर […]
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
गरमी कष्टकारी है. उन घरों में तो और भी, जिनमें इन दिनों इस सवाल पर मार-धाड़ मचती है- वो गुप्ताजी तो देखो यूरोप गये हैं घूमने, फेसबुक पर फोटो लगायी हैं यूरोप टूर की. और हम हैं जो यहां सड़ रहे हैं…
जब प्रतिद्वंदी पार्टी यूरोप में दीखती हो, तो फिर भारत में रहना सड़ना ही लगता है. मैंने कई बार निवेदन किया है अपने घर में कि इंडिया भी बहुत महान देश है, देखो बांग्लादेशी कितने आतुर रहते हैं इस देश में आने के लिए. इसका जवाब यह मिलता है, तुम हमें यूरोपियन तो बना नहीं सकते, तो बांग्लादेशी ही बना कर छोड़ दो.
गुप्ताजी, यूरोप और फेसबुक ने जिंदगी चौपट कर रखी है बहुतों की. फेसबुक टेंशन की वजह बन गया है.कोई कश्मीर जाता है, आठ फोटो ठोंकता है कश्मीर में झरने के नीचे, घोड़े के ऊपर, गधे के पीछे, इन्हें देख कर किसी का ठंडा कश्मीर किसी घर में गरमी की वजह बन जाता है. फेसबुक को फौरन प्रतिबंध लगाना चाहिए कि कोई कहीं भी घूमे फिरे, बस उसकी फोटो फेसबुक पर ना डाले.
मुझे लगता है कि एक संवैधानिक संशोधन हो गया है- बहुतों की जानकारी में नहीं है कि हर टूर का फोटो फेसबुक पर डालना अनिवार्य कर दिया गया है. टूर के फोटो फेसबुक पर ना दिखाये, तो टूर का फायदा क्या. कश्मीर का ठंडा टूर अगर पचास घरों में आग ना लगा पाया, तो क्रमश: टूर, फेसबुक का फायदा क्या.
एक नया स्टार्ट-अप आइडिया आ रहा है. फेसबुक टूरिज्म का कारोबार चमक सकता है. बंदा कहीं जाये या नहीं जाये, कश्मीर से मलेशिया तक और भुवनेश्वर से बुल्गारिया तक के फोटो फेसबुक पर डालने का जुगाड़ हो सकता है. कुछ नहीं, बस बंदा जाये किसी फेसबुक टूरिज्म स्टूडियो में, वहां सहारा रेगिस्तान से लेकर चीन की दीवार से लेकर स्विट्जरलैंड की यश चोपड़ा झील से लेकर लंदन का हाइड पार्क सब हो. घंटे भर में दे दबादब फोटू चीन की दीवार से लेकर स्विस झील तक सब के फोटू लो.
फेसबुक टूरिज्म का वक्त है यह. यहां पर बंदा टूर-रत दीखना चाहिए, सचमुच में जाना जरूरी नहीं है.जैसे फेसबुक पर वाइफ को हैप्पी बर्थडे, हैप्पी मैरिज एनीवर्सरी बोलते दिखना जरूरी है, सचमुच में हैप्पी होना जरूरी नहीं है. अगर फेसबुक पहले होता तो कई बवाल आक्रमण टल गये होते. सिकंदर चलता यूनान से सेल्फी लेता हुआ, एक ही प्वॉइंट पर हजार फोटू फेसबुक पर चिपकाता चलता. फिर हर दस मिनट में देखता कि कितने लाइक मिले हैं उसकी फोटो को.
इस तरह सिकंदर अपने इलाके से बमुश्किल पांच किलोमीटर भी आगे नहीं आ पाता. आइये फेसबुक टूरिज्म स्टार्ट-अप का स्वागत करें.
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