जैसे ही कुख्यात उग्रवादी कुंदन पाहन ने डीआइजी के सामने सरेंडर किया, मीडिया में उसे ऐसे पेश किया गया, जैसे वह कोई सेलेब्रिटी हो. उसे 15 लाख का चेक भी सौंपा गया. कुदंन पाहन ने बड़े फक्र से इस बात का एलान भी किया कि अब वह राजनीतिक में आयेगा, जैसे वह लंदन से राजनीतिक मे पीएचडी कर के आया हो.
देश में जो हजारों-लाखों नौजवान डिग्रियां लेकर भी बेरोजगारी के धक्के खा रहे हैं, भला उन पर इन बातों का क्या असर पड़ेगा? सरकार के ऐसे फैसलों से उग्रवाद थमेगा या बढ़ेगा? क्या जो कुंदन 128 कांडों का गुनाहगार है, क्या एकदम से पाक-दामन नेता बन जायेगा?
शादाब इब्राहिमी, ब्रांबे, रांची.