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सुधारने की बारी अब हमारी है

लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव सबसे बड़ा त्योहार होता है और हम अपने एक वोट से लोकतंत्र के हर खोट पर चोट कर सशक्त भारत का निर्माण करेंगे ऐसा संकल्प हम सबको लेना होगा. देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस महासमर में इस बार राष्ट्र्वाद बनाम वंशवाद का निर्णयाक युद्ध शुरू हो […]

लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव सबसे बड़ा त्योहार होता है और हम अपने एक वोट से लोकतंत्र के हर खोट पर चोट कर सशक्त भारत का निर्माण करेंगे ऐसा संकल्प हम सबको लेना होगा. देश में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. इस महासमर में इस बार राष्ट्र्वाद बनाम वंशवाद का निर्णयाक युद्ध शुरू हो गया है. आज भारत की आंतरिक सुरक्षा तार-तार है.

केंद्र सरकार का पूरा कुनबा तुष्टीकरण में जुटा है. देश के संसाधनों पर पहला हक भारतीय का नहीं बल्कि एक विशेष समुदाय का है. 2004 से लेकर आजतक इस वंशवादी शासन व्यवस्था ने भारत को दंगों, भूखे-नंगों, अत्याचारियों का देश, बलात्कारियों के देश के रूप में विश्व के मानचित्र पर उभारा है. विश्वगुरु भारत इस वंशवादी सोच के साये में आज शोषित-पीड़ित और अपमानित हो रहा है. इसे सुधारने की बारी अब हमारी है.

संजय कुमार आजाद, रांची

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