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आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार पिछले दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ पालिटिक्स एंड बिजनेस में इस खाकसार को लेक्चर देने का मौका मिला. लेक्चर का विषय था- आज की राजनीति के बिजनेस माॅडल. आप भी देखिये कि राजनीति के बिजनेस मॉडल क्या हैं. राजनीति के बिजनेस के कई माॅडल अपनाये जाते हैं, जैसे देखिये कि कांग्रेस एक […]

आलोक पुराणिक

वरिष्ठ व्यंग्यकार

पिछले दिनों इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ पालिटिक्स एंड बिजनेस में इस खाकसार को लेक्चर देने का मौका मिला. लेक्चर का विषय था- आज की राजनीति के बिजनेस माॅडल. आप भी देखिये कि राजनीति के बिजनेस मॉडल क्या हैं.

राजनीति के बिजनेस के कई माॅडल अपनाये जाते हैं, जैसे देखिये कि कांग्रेस एक सिंगल प्रोपराइटरशिप फर्म है. एक परिवार ही मालिक है. ऐसा नहीं है कोई बाहर से आये और बोर्ड आॅफ डाइरेक्टर का अध्यक्ष बन जाये. इस सिंगल प्रोपराइटरशिप फर्म के बिजनेस में जोर बिजनेस पर कम है और सिंगल प्रोपराइटर की मिल्कियत पर ज्यादा है. बिजनेस बचे या न बचे मिल्कियत बचनी चाहिए. बिजनेस घाटे में भी चला लेंगे कोई दिक्कत नहीं. इसलिए हम देखते हैं कि कांग्रेस लगातार घाटे में चलता हुआ बिजनेस है. यह गहरे शोध-चिंतन का विषय है कि कोई भी बिजनेस लगातार घाटे में चलने का हुनर कैसे पैदा कर सकता है, शोधार्थी इस बारे में कांग्रेस से सीख सकते हैं.

सिंगल प्रोपराइटरशिप में आफत यह होती है कि बिजनेस डूबने के चांस बहुत ज्यादा हो जाते हैं, अगर कुछ साल तक रिजल्ट ठीक ना आयें, जैसे यूपी में मायावतीजी की पार्टी का हाल देखा जा सकता है. भारत की अधिकांश क्षेत्रीय पार्टियां सिंगल प्रोपराइटरशिप के माॅडल पर चलती हैं. वैसे, राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस भी अब सिकुड़- सिमट कर क्षेत्रीय दल बनने की ओर बढ़ रही है और इसकी एकमात्र वजह इसका सिंगल प्रोपराइटरशिप होना नहीं है.

एक और बिजनेस माॅडल होता है-वह है विविधता का बिजनेस माॅडल. चतुर कारोबारी एक ही धंधे में सारा निवेश नहीं लगाता. अलग-अलग जगह निवेश करके सुरक्षा की अनुभूति कर सकता है. जैसे मुलायम सिंह यादव इन दिनों विविधत यानी डाइवर्सीफिकेशन की नीति पर अमल कर रहे हैं. एक बेटा अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी की पाॅलिटिक्स कर रहा है. दूसरे बेटे प्रतीक यादव को वह भाजपा ज्वाॅइन करा सकते हैं. इस तरह से अलग-अलग जगह निवेश से खुद को सुरक्षित बनाने की रणनीति मुलायम सिंह से सीखी जा सकती है.

एक और कारोबारी माॅडल है-बनाये कोई, पर ब्रांड अपना ठोंको. यूपी में जगदंबिका पाल, रीता बहुगुणा जोशी को कांग्रेस से, कर्नाटक में एसएम कृष्णा को कांग्रेस से और असम, अरुणाचल, उत्तराखंड में तमाम नेताओं को कांग्रेस से भाजपा में लाकर अमित शाह ने साफ कर दिया है कि पीएम मोदी भले ही मेक इन इंडिया पर जम कर काम कर रहे हों, पर अमित शाह की पसंद नेताओं के मामले में मेक इन कांग्रेस ही है.

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