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क्या सच में ”हिंदी हैं हम” !
‘हिंदी है हम वतन हैं, हिंदोस्तां हमारा’ इकबाल साहब की लिखी कविता की इस पंक्ति में हिंदी का महत्व साफ झलकता है. जिस देश के हर कोने में कभी हिंदी का बोलबाला रहा हो, आज उसी देश में हिंदी भाषा को अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ रहा है.आज देश में शिक्षा का क्षेत्र हो […]
‘हिंदी है हम वतन हैं, हिंदोस्तां हमारा’ इकबाल साहब की लिखी कविता की इस पंक्ति में हिंदी का महत्व साफ झलकता है. जिस देश के हर कोने में कभी हिंदी का बोलबाला रहा हो, आज उसी देश में हिंदी भाषा को अपने अस्तित्व के लिए जूझना पड़ रहा है.आज देश में शिक्षा का क्षेत्र हो या रोजगार का, हर जगह अंगरेजी भाषा का ही बोलबाला है.
अगर अच्छी नौकरी चाहिए, तो व्यक्ति का अंगरेजी जानना महत्वपूर्ण है. ब्रिटिश नौकरशाह मैकाले ने अपनी कूटनीति के तहत ही भारत पर अंगरेजी थोपी थी और इसका असर यह हुआ कि अंगरेजी शासक की भाषा बनी और हिंदी को गुलामी का दर्जा मिला जो आज तक बदस्तूर जारी है.
ऐमन अफरोज, माण्डर
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