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ज्ञान ही बनेगा विकास का रास्ता

21वीं सदी में ज्ञान ही शक्ति है, ज्ञान ही लक्ष्मी है. और, ज्ञान की ओर पहला कदम है सूचनाओं तक पहुंच. जन-जन की पहुंच में सूचनाएं हों, इसका समाधान पेश करती है सूचना तकनीक यानी आइटी. जिन राज्यों के पास खनिज भंडार नहीं हैं, खाली जमीनें नहीं हैं, जहां बड़े-बड़े कारखाने लगने की संभावना नहीं […]

21वीं सदी में ज्ञान ही शक्ति है, ज्ञान ही लक्ष्मी है. और, ज्ञान की ओर पहला कदम है सूचनाओं तक पहुंच. जन-जन की पहुंच में सूचनाएं हों, इसका समाधान पेश करती है सूचना तकनीक यानी आइटी. जिन राज्यों के पास खनिज भंडार नहीं हैं, खाली जमीनें नहीं हैं, जहां बड़े-बड़े कारखाने लगने की संभावना नहीं है, उनके लिए ज्ञान ही राह है.

आज धनोपाजर्न और विकास में भौतिक संसाधनों से बड़ी भूमिका है बौद्धिक संसाधनों की. इसे एक ताजा उदाहरण से समङों. अभी फेसबुक ने संदेश-सेवा देनेवाली कंपनी व्हाट्सऐप को खरीदने का फैसला किया है. इस कंपनी की सभी गतिविधियां सिर्फ एक दफ्तर से संचालित होती हैं जो मात्र 100 वर्ग मीटर का है.

इसमें मालिक समेत कुल 55 लोग काम करते हैं. कंपनी के पास इकलौता उत्पाद है व्हाट्सऐप नामक एप्लीकेशन. पर इसकी कीमत लगी है 19 अरब डॉलर. यानी लगभग 1182 अरब रुपये! शायद बिहार ने बौद्धिक संपदा की इस कीमत को पहचान लिया है. बुधवार को पटना में दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त वाइ-फाइ जोन शुरू किया जाना और राजगीर में आइटी सिटी का एलान, इस दिशा में बढ़ाया गया पहला कदम है. बिहार पर आबादी का बहुत ज्यादा दबाव है. ऊसर-बंजर जमीन न के बराबर है.

ऐसे में विनिर्माण (मैन्यूफैक्चरिंग) क्षेत्र के बड़े-बड़े उद्योगों के लिए जमीन तलाशना कठिन है. और, यदि कृषि भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो न सिर्फ बड़े पैमाने पर जन-विरोध का सामना करना पड़ेगा, बल्कि राज्य की खाद्य सुरक्षा भी खतरे में पड़ जायेगी. इसे देखते हुए आइटी क्षेत्र बिहार में विकास के द्वार खोल सकता है. लेकिन इसका लाभ लेने के लिए जरूरी है कि राज्य में आइटी की पढ़ाई का स्तर सुधरे. इंजीनियरिंग और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की संख्या बढ़े. बिहार की इस पहल से झारखंड को भी सीखना चाहिए.

विनिर्माण क्षेत्र से झारखंड की पहचान है, पर इस क्षेत्र में और बहुत ज्यादा औद्योगीकरण अब संभव नहीं दिखता, क्योंकि जनता भूमि-अधिग्रहण के खिलाफ खड़ी है. ऐसे में एकमात्र रास्ता यही है कि शिक्षा और मानव संसाधन की कुशलता का महत्व समझा जाये. केरल शिक्षा के ही बूते भारत-चीन में मानव विकास सूचकांक में सबसे ऊपर है. हम भी ऐसा कर सकते हैं.

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