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फल पर नहीं, कर्म पर ध्यान दें पार्टियां

चुनाव की वजह से देश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गयी हैं. यूं तो पांच साल तक जिन नेताओं का कोई अता-पता नहीं होता, वे चुनावी मौसम में जाने कहां से निकल आते हैं. ये लोग चुनाव में फिर से जीत हासिल करे के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. लेकिन आम जनता की नजर में […]

चुनाव की वजह से देश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गयी हैं. यूं तो पांच साल तक जिन नेताओं का कोई अता-पता नहीं होता, वे चुनावी मौसम में जाने कहां से निकल आते हैं. ये लोग चुनाव में फिर से जीत हासिल करे के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. लेकिन आम जनता की नजर में कोई भी पार्टी दूध से धुली हुई नहीं है. ये लोग जितनी शिद्दत से चुनाव का प्रचार करते हैं, उसका अगर 10 प्रतिशत भी जनता की सेवा में लगाते तो उनका चुना जाना निश्चित था.

दरअसल चुनाव एक सर्कस है. चुनावी माहौल में हर पार्टी अपने-अपने करतब से लोगों को लुभाना चाहती है. कुछ बड़ी पार्टियां तो अपने लिए विज्ञापन भी कराने लगी हैं. इसके जरिये ये अपनी उपलब्धियां गिनाने में लगी हैं. लेकिन क्या ये जनता को बेवकूफ समझती हैं? जनता सब समझ रही है. पार्टियां काम पर ध्यान दें, फल तो मिल ही जायेगा.

पालुराम हेंब्रम, सालगाझारी, पूर्वी सिंहभूम

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