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शिक्षा में आरक्षण?
शिक्षा राष्ट्र की उन्नति का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है. एक पीढ़ी की शिक्षा कम-से-कम अगामी तीन पीढ़ियों के भविष्य का निर्धारण करती है़ फिर शिक्षा के क्षेत्र में भी आरक्षण के नाम पर अयोग्य व्यक्तियों को तात्कालिक लाभ देना आवश्यक क्यों हो गया है? इस क्षेत्र में आरक्षण से केवल लाभुक व्यक्तियों के जीवन स्तर […]
शिक्षा राष्ट्र की उन्नति का सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है. एक पीढ़ी की शिक्षा कम-से-कम अगामी तीन पीढ़ियों के भविष्य का निर्धारण करती है़ फिर शिक्षा के क्षेत्र में भी आरक्षण के नाम पर अयोग्य व्यक्तियों को तात्कालिक लाभ देना आवश्यक क्यों हो गया है? इस क्षेत्र में आरक्षण से केवल लाभुक व्यक्तियों के जीवन स्तर में तो सुधार संभव है, लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इससे अगली पीढ़ी ज्ञान के वैश्विक स्तर पर अपने-आप को खोखली और नि:सहाय महसूस करेगी.
शिक्षा के अलावा अन्य क्षेत्रों में कुछ कम जानकार (आरक्षण के बल पर) लोग भी चलें जायें तो अधिक-से-अधिक एक पीढ़ी का ही नुकसान होगा, लेकिन आज स्थिति यह है कि झारखंड की अन्य नियुक्तियों में स्थानीयता, मूलवासी-आदिवासी का मुद्दा कहीं नहीं दिखता जबकि शिक्षक नियुक्ति में यह उग्र रूप धारण कर लेता है और नियुक्तियां कानूनी पचड़े में पड़ कर रह जाती हैं. शिक्षकों के चयन में तो (देश-विदेश) कहीं से भी केवल योग्य व्यक्तियों का स्वागत होना चाहिए ताकि देश का नींव और आनेवाली तीन पीढ़ियों का भविष्य
शानदार हो.
अमरेश कुमार, हजारीबाग
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