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कामयाबी की नयी उड़ान

पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिकों डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि ‘सपने वे नहीं होते जो आप सोते वक्त देखते हैं, सपने तो वे होते हैं जो आपको सोने ही न दें.’ उपग्रह प्रक्षेपण की दुनिया में अपनी धाक जमाना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का एक ऐसा ही सपना है. एक साथ […]

पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिकों डॉ एपीजे अब्दुल कलाम कहा करते थे कि ‘सपने वे नहीं होते जो आप सोते वक्त देखते हैं, सपने तो वे होते हैं जो आपको सोने ही न दें.’ उपग्रह प्रक्षेपण की दुनिया में अपनी धाक जमाना भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (इसरो) का एक ऐसा ही सपना है.

एक साथ रिकाॅर्ड 20 सैटेलाइट लॉन्च कर इसरो ने अपनी क्षमता को फिर से साबित किया है. बुधवार को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी-सी34) के जरिये 17 विदेशी और 3 देसी सैटलाइट्स सफलतापूर्वक लॉन्च कर इसरो ने भारतीयों को गर्व करने का एक और शानदार मौका दिया. इससे पहले इसने 2008 में एक साथ 10 सैटेलाइट लॉन्च करने का रिकाॅर्ड बनाया था.

दुनिया में सिंगल मिशन में अमेरिका का 29 और रूस का 33 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करने का रिकॉर्ड है. इसरो अब तक 20 देशों के 57 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेज चुका है. इससे इसरो की कमर्शियल इकाई ‘एंट्रिक्स’ ने करीब 10 करोड़ अमेरिकी डॉलर की कमाई की है. भारत अब सभी तरह के उपग्रहों के प्रक्षेपण में आत्मनिर्भर हो गया है. आज की वैश्विक परिस्थिति में ऐसी उच्च तकनीकी आत्मनिर्भरता अलग मायने रखती है. इससे भारत न केवल अरबों डॉलर के अंतरिक्ष प्रक्षेपण बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकेगा, बल्कि विश्व में इसकी धमक भी बढ़ेगी.

बहुचर्चित चंद्रयान-1 और मंगल मिशन सहित 100 से ज्यादा अंतरिक्ष अभियानों को पूरा कर चुके इसरो ने पिछले एक साल के दौरान कई बेहद महत्वपूर्ण उपलब्धियां अपने खाते में दर्ज करायी हैं. इसमें स्वदेशी क्रायोजनिक इंजन का सफल परीक्षण और देश की पहली अंतरिक्ष वेधशाला ‘एस्ट्रोसैट’ को अंतरिक्ष में स्थापित करना शामिल हैं. अचरज नहीं होगा यदि इसरो जल्द ही अपने क्रायोजनिक इंजन के बूते देश की धरती से अंतरिक्ष में भारतीय यात्री भेजने में भी सफल होता नजर आये.

हालांकि, इसरो के वैज्ञानिकों की हर कामयाबी के साथ यह टीस भी भारतीयों के मन में उठती है कि काश इसी के समतुल्य रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक, या फिर कृषि और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान से जुड़े हमारे वैज्ञानिक भी ऐसी ही बेमिसाल कामयाबियां हासिल कर पाते.

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