48 देशों का आणविक आपूर्तिकर्ता ग्रुप के विएना बैठक में भारत को प्रवेश नहीं मिला. अब आगामी 24 जून को दक्षिण कोरिया की राजधानी सोल में बैठक होने जा रही है. वहां भी आशा की कोई उम्मीद नहीं है क्योंकि इसमें प्रवेश बहुमत के आधार पर नहीं ंहोता, बल्कि सभी सदस्यों को एकमत होना पड़ेता है.
जबकि इस समय चीन इसका जम कर विरोध कर रहा है. उसके साथ कुछ और देश भी हैं. दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रिया, न्यूजीलैंड, आयरलैंड तथा तुर्की. ऐसा लगता है कि इस गुट में प्रवेश का महत्व केवल प्रतिष्ठा के लिए होगा, वरना जो फायदा सदस्य देशों को हो रहा है, वह भारत को भी मिल रहा है. शांतिपूर्ण उद्देश्य के लिए भारत का परमाणु सामग्री का आयात-निर्यात निर्बाध रूप से चल ही रहा है.