क्रिकेट का आइपीएल खत्म हुए कुछ ही दिन बीते थे कि राज्यसभा चुनाव का आइपीएल देखने को मिला़ यह आइपीएल इंडियन प्रीमियर लीग न होकर इंडियन पॉलिटिकल लीग या पैसा लीग बन गया है़ वैसे झारखंड शुरू से ही राज्यसभा चुनाव में बदनाम है. पर इस बार तो मुहर लग गयी, जिन्हें जनता चुन कर विधानसभा भेजती है, वे चंद पलों में अपने ईमान को गिरवी रख देते हैं.
वैसे झारखंड में लोकतंत्र और जनतंत्र पर हमेशा धनतंत्र ही भारी पड़ता है, क्योंकि हम सब एक अच्छा जनप्रतिनिधि चुनने में नाकाम रहते हैं.
अब वक्त आ गया है कि चुनाव आयोग को लोकतंत्र की रक्षा के लिए राज्यसभा चुनाव में परिवर्तन कर इसके लिए वोटिंग राज्यों के बजाय दिल्ली की संसद में हो़ साथ ही इसका सीधा प्रसारण भी हो़ जनता को मतदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अरबों रुपये विज्ञापन में खर्च होते हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव में विधायक अगर मतदान करने नहीं आये तो उन पर क्या कार्रवाई होती है? जो विधायक मतदान न करे उनकी सदस्यता फौरन रद्द की जाये और अगर विधायक को प्रत्याशी पसंद नहीं हो, तो उन्हें नोटा जैसा विकल्प दिये जायें.
सुमंत चौधरी, जमशेदपुर