19 दिसंबर का ‘कॉपी जांचे बिना टॉपर को कर दिया फेल’ शीर्षक समाचार पढ़ा. इससे पता चला कि कैसे एक प्रतिभाशाली छात्र के भविष्य को चौपट करने की तैयारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल ने अपनी लापरवाही की बदौलत कर रखी थी.
यदि उस छात्र के द्वारा अपने रिजल्ट को जानने का जी-जान से प्रयास नहीं किया जाता और वह काउंसिल से उत्तर पुस्तिका नहीं निकलवाता, तो टॉपर आज सचमुच फेल होता. यह तो उस छात्र सुबोध महतो की सूझ-बूझ का परिणाम है कि उसे उसका हक मिल रहा है.
लेकिन न जाने और कितने ऐसे छात्र होंगे, जिनके भविष्य इसी प्रकार काउंसिल की लापरवाही से मटियामेट होते रहे होंगे. सुबोध महतो के साथ हुई इस घटना को सरकार द्वारा नजरअंदाज करना अनेक मेहनती, लगनशील छत्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा.
मोहम्मद सलीम, ई-मेल से