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मनुष्यता का पाठ पढ़े बिना ज्ञान व्यर्थ
आज शिक्षा के बावजूद कई नवयुवकों में अनुशासन की कमी है. कई बहादुर युवक माता-पिता का अपमान भी कर देते हैं. बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर क्या फायदा, जब रिश्तों की अहमियत और मनुष्य जीवन का मूल्य ही नहीं पता. प्रेम तो दूर अगर किसी के प्राण भी निकल रहे हों, तब भी कोई उसकी मदद ना […]
आज शिक्षा के बावजूद कई नवयुवकों में अनुशासन की कमी है. कई बहादुर युवक माता-पिता का अपमान भी कर देते हैं. बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर क्या फायदा, जब रिश्तों की अहमियत और मनुष्य जीवन का मूल्य ही नहीं पता.
प्रेम तो दूर अगर किसी के प्राण भी निकल रहे हों, तब भी कोई उसकी मदद ना करे. हम ऐसे शिक्षा का क्या करें, जो अपने ही प्राण का दुश्मन बन जाती है, हमें अमृत व विष में फर्क करना नहीं सिखाती. चाहे हम कितने भी आधुनिक हो जाएं, हमें महापुरुषों के दिखाये रास्तों स्कूलों के पाठयक्रम में शामिल रखना चाहिए.
बच्चों को अपनी भाषा, संस्कृति व मातृभूमि का महत्व सिखाना होगा, ताकि वे सिर्फ निज हित नहीं, बल्कि देशहित में सोचें. हमें सबसे पहले मनुष्यता का पाठ पढ़ाना होगा, क्योंकि इसके बिना सभी ज्ञान व्यर्थ हैं.
-मनसा राम महतो, सरायकेला
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