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नेट न्यूट्रलिटी जरूरी

नेट न्यूट्रलिटी यानी बिना किसी अवरोध के अपनी इच्छा से इंटरनेट का उपभोग करने की स्वतंत्रता का मुद्दा एक बार फिर बहस में है. भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) ने इस साल दूसरी दफे लोगों से इस मसले पर राय मांगी है. नेट न्यूट्रलिटी के विवाद के एक सिरे पर सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और […]

नेट न्यूट्रलिटी यानी बिना किसी अवरोध के अपनी इच्छा से इंटरनेट का उपभोग करने की स्वतंत्रता का मुद्दा एक बार फिर बहस में है. भारतीय टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राइ) ने इस साल दूसरी दफे लोगों से इस मसले पर राय मांगी है.
नेट न्यूट्रलिटी के विवाद के एक सिरे पर सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक और कुछ इंटरनेट सेवा प्रदाता हैं तथा दूसरे सिरे पर इंटरनेट के इस्तेमाल की मौजूदा स्थिति को बरकरार रखने की मांग करते उपभोक्ता और कार्यकर्ता. फेसबुक और उसके साथ खड़े सेवा प्रदाताओं का कहना है कि वे बेसिक इंटरनेट सेवा के माध्यम से जरूरी साइटें और सेवाएं उन लोगों तक मुफ्त या कम शुल्क में पहुंचाना चाहते हैं, जो अभी तक इसका उपभोग नहीं कर पा रहे हैं या फिर सीमित रूप में करते हैं.
लेकिन नेट न्यूट्रलिटी के पक्षधर इन दावों को खारिज करते हुए कहते हैं कि इससे एक तो नेट महंगा हो जायेगा और इससे जुड़ी सेवाओं पर कुछ कंपनियों और साइटों का वर्चस्व स्थापित हो जायेगा. मौजूदा स्थिति में उपभोक्ता को सेवा प्रदाता को एक निर्धारित शुल्क देने के बाद किसी भी उपलब्ध साइट पर जाने का विकल्प होता है.
लेकिन फेसबुक और सेवा प्रदाताओं की बात मान लेने के बाद ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि मुफ्त सेवा के घाटे को पूरा करने के लिए वे अन्य सेवाओं को महंगा कर दें तथा लोगों को खास सेवा प्रदाता और साइटों के पास जाने के लिए मजबूर कर दें. इसके लागू हो जाने के बाद धनी साइटें और सेवा प्रदाता आर्थिक रूप से कमजोर साइटों या सेवा प्रदाताओं के लिए कठिन परिस्थितियां पैदा कर सकते हैं. इसका नकारात्मक असर स्टार्ट अप, नये उद्यमियों और छोटी साइटों को भुगतना पड़ेगा. उपभोक्ताओं को वही साइटें सस्ती दरों पर उपलब्ध होंगी, जिन्हें फेसबुक और उसके साथी सेवा प्रदाता तय करेंगे. अन्य साइटों के लिए उन्हें अलग से और अधिक शुल्क देना होगा.
इस वर्ष के पूर्वार्द्ध में अमेरिका में भारी विरोध के कारण इस तरह के प्रयासों की अनुमति नहीं दी गयी थी. भारत में भी कुछ महीने पहले कुछ सेवा प्रदाताओं और साइटों की अलग-अलग इंटरनेट आपूर्ति मार्ग बनाने की कोशिश विफल रही थी. केंद्र सरकार का कहना है कि वह ट्राइ की राय के बाद ही कोई फैसला लेगी, पर कार्यकर्ताओं का कहना है कि सरकार ढुलमुल रवैया अपना रही है.
उम्मीद है कि सरकार और ट्राइ नेट सेवाओं से जुड़ी मुश्किलों के समाधान को प्राथमिकता देते हुए उपभोक्ताओं के व्यापक हित में निर्णय करेगी, ताकि न तो देश में इंटरनेट का विस्तार बाधित हो और न ही इस पर बड़ी कंपनियों का एकाधिकार स्थापित हो.

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