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आज गांधीजी की है असली जरूरत
मैं इस पत्र के जरिये देश की सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या सही मायने में देश का विकास हो रहा है या ये बड़े-बड़े वादे बेबुनियाद हैं. आज जब देश आजादी के जश्न को साल-दर-साल मनाते हुए विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है, तो सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि […]
मैं इस पत्र के जरिये देश की सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या सही मायने में देश का विकास हो रहा है या ये बड़े-बड़े वादे बेबुनियाद हैं. आज जब देश आजादी के जश्न को साल-दर-साल मनाते हुए विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है, तो सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि झंडा बड़ा है या डंडा?
देश में साक्षरता, परिवार कल्याण, सर्व शिक्षा अभियान, मनरेगा जैसे अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं, जिससे काफी हद तक विकास हुआ भी है, परंतु भ्रष्टाचार, चोरबाजारी, गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई की समस्या लोगों के सामने मुंह बाये खड़ी है. आज नैतिकता का पतन हो चुका है. आज आम जनता हो, पदासीन अफसर हो या फिर कोई नेता, सभी स्वार्थी हो गये हैं. आज चारों ओर अफरा-तफरी मची है.
पूरा देश घोटालों की जद में आ गया है. आज यह लगता है कि आज भी देश को गांधी, सुभाष आदि नेताओं की बहुत जरूरत है.
-सुनीता सिंह, भालूबासा, जमशेदपुर
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