देश में आजकल स्वच्छ भारत अभियान की चर्चा जोरों पर है. इसकी खबर जब हम अखबारों में पढ़ते अथवा टीवी चैनलों पर देख कर मलयेशिया और सिंगापुर जाने का सपना देखते हैं, तो मन गदगद हो जाता है. अगर हम अपने अंदर झांक कर देखें, सारा नजारा खोखला सा नजर आता है, क्योंकि हमें पता है कि हम क्या कर रहे हैं.
सुबह हम जब अखबार पढ़ते वक्त चाय के साथ बिस्कुट खाते हैं, टूथपेस्ट करते हैं, स्नान करने के समय साबुन या शैंपू लगाते हैं, उसके बाद अगरबत्ती जलाते हैं और भोजन करने के बाद जूठा भी छोड़ देते हैं. इससे जो कचरा पैदा होता है, उसका हम क्या करते हैं? एक सभ्य नागरिक क्या ऐसा काम करता है? स्वच्छ भारत अभियान की सफलता भी हमारी सोच पर ही टिकी है. जब हम खुद को बदलेंगे, तभी देश भी बदलेगा.
मो सलमान अहमद, दुमका