राजधानी में आये दिन बिना परमिट के एक रूट में लगभग 100 से 150 ऑटो रोजाना चल रहे हैं. बिना परमिट के सड़कों पर ऑटो के परिचालन से आम लोगो को परेशानी हो रही है.
हालांकि, यातायात विभाग के कुछ अधिकारी समय-समय पर अभियान चला कर ऐसे वाहनों की जांच भी करते हैं, लेकिन पैसों के आगे वे भी कायदे-कानून को ताक पर ही रख देते हैं. बिना परमिट वाले ऑटो चालकों को यातायात पुलिसकर्मियों के अलावा थानों में भी चढ़ावा चढ़ाना पड़ता है. राजधानी में एक ऑटो चालक हर महीने हजारों का भुगतान करता है.
पिछले दरवाजे से आने वाली इस राशि का आपस में बंदरबांट कर दिया जाता है. स्थिति यह है कि बिना परमिट के ऑटो पर कार्रवाई करने की हालत में वे प्रदर्शन करने से भी बाज नहीं आते. एक तो चोरी, ऊपर से सीनाजोरी. सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे.
– अभिषेक उरांव, रांची