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काला धन पर उम्मीद
विदेशों में जमा कालाधन वापस लाना किसी भी सरकार के लिए टेढ़ी खीर है, पर मोदी सरकार की हालिया कोशिशों ने रंग लाना शुरू कर दिया है.खबरों के मुताबिक स्विट्जरलैंड सहित कई यूरोपीय देशों के बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों से कहा है कि वे भारत सरकार के आयकर विभाग के सामने अपने खातों का […]
विदेशों में जमा कालाधन वापस लाना किसी भी सरकार के लिए टेढ़ी खीर है, पर मोदी सरकार की हालिया कोशिशों ने रंग लाना शुरू कर दिया है.खबरों के मुताबिक स्विट्जरलैंड सहित कई यूरोपीय देशों के बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों से कहा है कि वे भारत सरकार के आयकर विभाग के सामने अपने खातों का खुलासा करें.
इन बैंकों ने भारतीयों ग्राहकों, जिनमें एनआरआइ भी शामिल हैं, से एक हलफनामा भी देने को कहा है, जिसमें लिखा होना चाहिए कि वे कराधान संबंधी भारत सरकार की नयी नीतियों का पालन कर रहे हैं और अपनी कर-योग्य आय तथा संपदा के बारे में कुछ भी नहीं छुपा रहे.
इससे लगता है कि टैक्स चोरों के लिए स्वर्ग साबित होते आये ये बैंक भारत सरकार के नये नियमों से घबराहट में हैं. मोदी सरकार ने अपने 15 माह के कार्यकाल में कालेधन पर अंकुश के लिए कई कदम उठाये हैं.
इस साल मई में ब्लैक मनी एंड इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट लाया गया. यह एक्ट एक जुलाई से प्रभावी हो चुका है. इस नये कानून के तहत सरकार ने एक अनुपालन खिड़की (कंप्लायंस विंडो) की सुविधा देकर भारतीय खाताधारकों से कहा है कि वे सितंबर, 2015 तक विदेशों में जमा अपनी अघोषित संपत्ति का खुलासा कर आगे होनेवाली कठोर कार्रवाई से बच सकते हैं.
इस अवधि में अघोषित संपत्ति का खुलासा करने पर 30 प्रतिशत टैक्स और 30 प्रतिशत जुर्माना लगेगा, जबकि अवधि बीतने के बाद 30 प्रतिशत टैक्स के अतिरिक्त 90 प्रतिशत जुर्माना वसूला जायेगा और विदेशों में अघोषित संपत्ति जमा करने के अपराध में 10 साल तक की कैद भी हो सकती है.
इस कानून के अतिरिक्त सरकार ने बीते साल अक्तूबर में स्विट्जरलैंड के कराधान अधिकारियों से सचिव स्तरीय वार्ता की थी. तब वित्तमंत्री अरुण जेटली ने बताया था कि स्विट्जरलैंड के कराधान अधिकारी साक्ष्य प्रस्तुत करने पर स्विस बैंकों में कालाधन रखनेवाले भारतीयों के बारे में जानकारी देने पर राजी हो गये हैं.
सरकार ने टैक्स हैवेन कहलानेवाले सेसेल्स द्वीप समूह की सरकार से भी बात की है. खबरों के मुताबिक सेसेल्स भी वहां के बैंकों में जमा भारतीयों के कालाधन के बारे में जानकारी देने की बात सिद्धांत स्तर पर मान चुका है.
इन गंभीर कोशिशों का ही नतीजा है कि स्विस बैंक सहित कुछ प्रमुख यूरोपीय बैंकों ने अपने भारतीय ग्राहकों के लिए नये निर्देश जारी किये हैं.
उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी सरकार की कोशिशें ऐसे ही सफल होती रहेंगी और एक दिन ऐसा आयेगा जब भारतीयों के लिए कालाधन विदेशों में जमा करना मुश्किल हो जायेगा.
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