प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी तृतीयं चंद्रघंटेति कुष्मांनडेति चतुर्थकम् पंचमं स्कन्दमातेती षष्ठम् कात्यायनीति च सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता: शास्त्रों में शक्तिस्वरूपा माता दुर्गा के नौ रूप उल्लिखत हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी औरसिद्धिदात्री.
अब अपनी बात– एक ओर हम मातृशक्ति के विभिन्न स्वरूपों की पूजा करें, उनका सम्मान करें. दूसरी ओर घर में, सरेआम, बीच बाजार में अथवा जहां भी हमें अवसर प्राप्त हो, उसी शक्ति पर निर्मम अत्याचार, उसका अपमान और चीरहरण करने से न चूकें. इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार को कड़े कानूनों का प्रावधान करना पड़े, फिर भी हम बाज न आयें. शर्म तक नहीं आती हमें?
अब तो हद हो गयी, धर्मगुरुओं द्वारा धर्मस्थलों में मातृशक्ति के शोषण की घटनाएं जगजाहिर हो रही हैं. यह सभ्य समाज के लिए शर्म से डूब मरने जैसा है. कहीं विकास की चाह में हमने विश्वास, आस्था और श्रद्धा को नजरअंदाज तो नहीं कर दिया? जबकि यह एक दूसरे के पूरक हैं.
क्या हमारे संस्कारों में कोई कमी है, या हमारे दोहरे मापदंड हैं? इस पर गंभीरता से विचार कर स्वयं कोई हल निकालें तभी नवरात्रि पर्व मनाना सार्थक होगा. अन्यथा यह एक खानापूर्ति के अतिरिक्त कुछ भी नहीं.
मां के सभी रूपों को सादर नमन्. साथ ही, मां से एक प्रार्थना भी कि हे मां! हमें सद्बुद्धि और अच्छे संस्कार देना और हम पर अपनी कृपादृष्टि हमेशा बनाये रखना. नवरात्रि पर भारतभूमि सहित चराचर जगत पर मां अपने स्नेह की कृपा बरसाये. इसी के साथ नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं.
सैयद शहंशाह हैदर आब्दी, बेंगलुरु