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मेरे दोस्त, पीएम तुम्ही हो कल के

।। पुष्यमित्र ।। (पंचायतनामा, रांची) आजकल अपने एक पुराने मित्र की याद बार–बार आती है. जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो एक दिन उसने भरी सभा में घोषणा कर दी थी कि देखना आज से 25 साल बाद मैं देश का प्रधानमंत्री बनूंगा. मैं इस देश का प्रधानमंत्री बन कर रहूंगा. इसे सौभाग्य कहें […]

।। पुष्यमित्र ।।

(पंचायतनामा, रांची)

आजकल अपने एक पुराने मित्र की याद बारबार आती है. जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तो एक दिन उसने भरी सभा में घोषणा कर दी थी कि देखना आज से 25 साल बाद मैं देश का प्रधानमंत्री बनूंगा. मैं इस देश का प्रधानमंत्री बन कर रहूंगा.

इसे सौभाग्य कहें या विडंबना कि 2014 में जब अपना देश किसी नये प्रधानमंत्री की अगवानी कर रहा होगा, उस वक्त मेरे मित्र की घोषणा के भी 25 साल पूरे हो रहे हैं. अभी कुछ ही महीने पहले उससे मेरी मुलाकात हुई थी, मगर उस वक्त मैं उसे उसकी घोषणा की याद नहीं दिला सका, क्योंकि उस वक्त कम से कम आधा दर्जन नेता ऐसे जरूर थे जो खम ठोके प्रधानमंत्री बनने की रेस में उतर आये थे.

मैंने सोचा कि कहां युवराज राहुल गांधी, हिंदू हृदय सम्राट नरेंद्र मोदी, महारथी लालकृष्ण आडवाणी, सुशासन बाबू नीतीश कुमार और अखिलेश के पापा मुलायम सिंह यादव और कहां मेरा मित्र. वैसे भी मेरा मित्र खुद नरेंद्र मोदी का सुपर फैन है और अगर किसी वजह से मोदी जी वॉक ओवर कर जायें, तो नीतीश जी को इस महती पद पर देखना चाहता है.

मगर देखिये दिनन का फेर कि अभी पांच महीने पहले तक इस रेस में पांच महारथी मैदान में थे और आज एकएक करके तमाम महारथियों ने अपने पांव पीछे खींच लिये. राहुल बाबा ने कहा कि राजनीति जहर है और मोदी ने कहा कि मित्रो, जो पीएम का उम्मीदवार बनता है, बरबाद हो जाता है.

नीतीश जी पहले कह चुके थे कि किसी बड़े दल के नेता को बनाओ, आडवाणी जी को उनकी मदर एजेंसी ने ही मना कर रखा है. अब बताइए, इस संकट की घड़ी में देश को सबसे अधिक उम्मीद अपने प्रधानमंत्री से थी कि भाई कोई बने या बने अपने पास तो एक प्रधानमंत्री पहले से मौजूद है.

हमें उनसे ही तिबारा पीएम बनने का आग्रह कर लेंगे, मगर देखिए समय की विडंबना की हमेशा की तरह इस बार भी उन्होंने देश को मझधार में ही छोड़ दिया और हम सबों की उम्मीदों पर तुषारापात करते हुए कह दिया कि अब हमसे भी नहीं चलेगा.. यह लो अपनी लकुटि कमरिया बहुत ही नाच नचायो.. अब तो राहुल बाबा से ही देश चलवाओ. अगली बार हम नहीं पहनने वाले इस कांटे के ताज को.

ऐसे में जाने क्यों मुझे अपने मित्र की घोषणा सच होती प्रतीत होती है. भाई ने कहा था कि 25 साल बाद पीएम बनेंगे और देखिये कमाल 25 साल पूरे होतेहोते उसके लिए मैदान खाली हो गया. हां ठीक है कि अखिलेश, चिराग और तेजस्वी के पापाओं ने अभी मना नहीं किया है, मगर उनके बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं, उन्हें तो सरकारी तोता ही मना कर देगा.

आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद भाई केजरीवाल ने पहले ही कह दिया है कि इस चुनाव में वे दिल्ली में ही झाड़ू चलायेंगे. ऐसे में मेरे दोस्त का चांस पक्का है. कहां हो मेरे यार? तुम्हारे दिन बहुरने वाले हैं. देश इंतजार कर रहा है, पीएम तुम्ही हो कल के..

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