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अन्य राज्य ‘बाहरी’ को नौकरी नहीं देता
विविधता में एकता वाले भारत में विभिन्न जाति, संप्रदाय, धर्म और पंथ के लोग सौहार्द के साथ निवास करते हैं. परंतु इस सौहार्द को विभिन्न राज्य किसी भी नियुक्ति में नहीं अपनाते हैं. हम झारखंड के मूलवासी यदि बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि में शिक्षक नियुक्ति या अन्य नियुक्तियों के लिए आवेदन करते […]
विविधता में एकता वाले भारत में विभिन्न जाति, संप्रदाय, धर्म और पंथ के लोग सौहार्द के साथ निवास करते हैं. परंतु इस सौहार्द को विभिन्न राज्य किसी भी नियुक्ति में नहीं अपनाते हैं.
हम झारखंड के मूलवासी यदि बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि में शिक्षक नियुक्ति या अन्य नियुक्तियों के लिए आवेदन करते हैं, तो कहा जाता है कि झारखंडी हो, वहीं जाकर नौकरी करो. यह स्थिति तब है, जबकि नियमावली में 5-10 फीसदी बाहरी लोगों की नियुक्ति का प्रावधान है.
उस वक्त हम ठगे से रह जाते हैं. वहीं, झारखंड में बिना किसी भेदभाव के बाहरी लोगों की नियुक्ति की जा रही है. बीते वर्षो में सचिवालय सहायक, प्लस टू के लिए सहायक शिक्षक परीक्षा में अर्हता भारत के नागरिक के रूप में है, जो कि हम झारखंडियों के लिए अभिशाप के समान है. सरकार इस ओर भी ध्यान दे.
अतुल कुमार, करकट, लातेहार
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