।।नयी बालू नीति पर मुहर।।
नयी बालू नीति लागू करने में सरकार ने उन तमाम बातों का ख्याल रखा है, जिन पर अभी तक चर्चा होती रही है. चाहे वह बालू खुदाई से जुड़े लोगों की छवि का मामला हो या फिर अवैध तरीके से बड़े पैमाने पर होनेवाले खनन का, सरकार ने सभी को इसमें शामिल किया है. अभी तक सरकार को खनन से ज्यादा राजस्व नहीं मिलता रहा है. पिछले वित्तीय वर्ष में 511 करोड़ मिले थे. चालू वित्तीय वर्ष में इससे 641 करोड़ की आय का अनुमान है.
विपक्ष के नेता सुशील कमार मोदी ने हाल में कहा कि बालू खनन में सात से आठ हजार करोड़ का अवैध कारोबार होता है. इसका नब्बे फीसदी से ज्यादा हिस्सा अवैध रूप से खनन करनेवालों के पास जाता है. सरकार को दस फीसदी से भी कम हिस्सा मिलता है. मोदी खनन पर रोक लगाये जाने की मांग करते रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने भी खनन को लेकर सख्त दिशा-निर्देश जारी किये हैं. इन्हीं के आलोक में नयी नीति बनी है. कैबिनेट ने इसे मंजूर कर दिया है. अब उन्हीं लोगों को खनन का ठेका मिलेगा, जिनके खिलाफ किसी तरह के आरोप नहीं होंगे. ठेका लेनेवालों को थाने से चरित्र प्रमाणपत्र बनवाना होगा, तभी खनन एवं भू-तत्व विभाग में उनका निबंधन होगा. नयी नीति को बिहार लघु खनिज समनुदान नियमावली, 1972 के तहत ही बनाया गया है.
पहले की तरह एनएच (राष्ट्रीय राजमार्ग) व एसएच (राज्य राजमार्ग) के पास से खुदाई की अनुमति नहीं होगी. अब किसी भी खनन से पहले इआइएए (इनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट ऑथारिटी) से अनुमति लेनी होगी. खनन अगर पांच हेक्टेयर से कम के क्षेत्र में होगा, तो एआइएए की अनुमति से ही काम चलेगा, लेकिन पांच से सौ हेक्टेयर के क्षेत्र में खुदाई के लिए एआइएए के साथ राज्य सरकार से भी अनुमति लेनी होगी.
एक सौ हेक्टेयर से ज्यादा के क्षेत्र में खुदाई के लिए वन मंत्रलय व केंद्र सरकार की सहमति जरूरी होगी. सरकार ने बिहार स्टेट माइनिंग कॉरपोरेशन बनाने की तैयारी है, जो खनन से जुड़े पूरे मामलों को देखेगा. राज्य के विभिन्न जिलों को खनन की दृष्टि से प्रॉफिट सेंटर बनाये जाने की भी तैयारी है. इसमें खनन से जुड़े ग्यारह जिले शामिल होंगे, जिनमें खुदाई से लिए अलग से लीज दी जायेगी. सरकार की इस पहल से अवैध खनन पर अंकुश लगाना संभव हो सकेगा और आनेवाले समय में ये सेंटर सरकारी राजस्व का अच्छा जरिया बनेंगे.