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शिक्षक नियुक्ति का खामियाजा
झारखंड में फिलहाल जिन नियमों और शर्तो पर कक्षा एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, उसमें कई गैर-झारखंडी पद पाने में कामयाब हो गये हैं. यह सरकार और सरकारी तंत्र की अक्षमता को प्रदर्शित करता है. इसके साथ ही यह द्वितीय सूची लाने की बात नियुक्ति नियमावली के खिलाफ है, जिससे […]
झारखंड में फिलहाल जिन नियमों और शर्तो पर कक्षा एक से पांच तक के शिक्षकों की नियुक्ति हुई है, उसमें कई गैर-झारखंडी पद पाने में कामयाब हो गये हैं. यह सरकार और सरकारी तंत्र की अक्षमता को प्रदर्शित करता है.
इसके साथ ही यह द्वितीय सूची लाने की बात नियुक्ति नियमावली के खिलाफ है, जिससे कई ऐसे पारा शिक्षक या स्वतंत्र अभ्यर्थियों के साथ घोर अन्याय हुआ है. सभी पारा शिक्षक झारखंड के स्थायी निवासी हैं, क्योंकि इनका चयन स्थानीय ग्राम सभा से हुई है.
शैक्षणिक व व्यावसायिक योग्यता रखते हुए भी उन्हें सर्विस बुक नहीं दी गयी है. इन्हें स्थायी शिक्षक की मान्यता देने में देर क्यों की जा रही है? यह समझ से परे है. पारा शिक्षकों को मान-सम्मान देने की बात की जा रही है, लेकिन मानदेय में इजाफा नहीं किया जा रहा है. आखिर क्यों?
मो असलम जिया, पांकी, पलामू
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