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रांची की लाइफलाइन पर बर्बरता क्यों?
रांची की सड़कों पर दौड़नेवाले ऑटो रिक्शा को यहां की लाइफलाइन कहा जाता है. एक दिन के लिए भी यदि ऑटो चालक हड़ताल कर देते हैं, तो लोगों की परेशानियां आसमान पर चढ़ जाती हैं. सवाल यह पैदा होता है कि हर छोटी-बड़ी बातों के लिए पुलिस प्रशासन का डंडा ऑटो चालकों के शरीर और […]
रांची की सड़कों पर दौड़नेवाले ऑटो रिक्शा को यहां की लाइफलाइन कहा जाता है. एक दिन के लिए भी यदि ऑटो चालक हड़ताल कर देते हैं, तो लोगों की परेशानियां आसमान पर चढ़ जाती हैं. सवाल यह पैदा होता है कि हर छोटी-बड़ी बातों के लिए पुलिस प्रशासन का डंडा ऑटो चालकों के शरीर और पेट पर ही चलता है.
आज स्थिति यह है कि प्रशासन की ओर से ऑटो चालकों को परमिट नहीं दिया गया है और अवैध वसूली के लिए पुलिसकर्मी नाजायज तरीके से चालान करके उन्हें परेशान करते हैं. एक सरकारी नौकरी करनेवाले की तनख्वाह में हर साल महंगाई भत्ता की बढ़ी हुई दरें तो मिल जाती हैं, लेकिन स्वरोजगार करनेवाले इन ऑटो चालकों को कौन सा भत्ता मिलता है? देश में बढ़ती महंगाई के मद्देनजर प्रशासन ऑटो किराया तय क्यों नहीं करता? यह करने के बजाय बर्बरतापूर्ण व्यवहार क्यों?
एमके मिश्र, रांची
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