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आदिवासियों के लिए आरक्षण जरूरी
भारत विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और वर्ग के लोगों का निवास स्थान है. प्राचीन काल में हमारे यहां जाति प्रथा के नाम पर कुरीतियां पैर पसारे हुई थीं. इसमें एक वर्ग विशेष को समाज की मुख्यधारा से अलग कर दिया गया था. इस कारण वे आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान नहीं कर पायें. वे सैकड़ों वर्षो […]
भारत विभिन्न जाति, धर्म, संप्रदाय और वर्ग के लोगों का निवास स्थान है. प्राचीन काल में हमारे यहां जाति प्रथा के नाम पर कुरीतियां पैर पसारे हुई थीं. इसमें एक वर्ग विशेष को समाज की मुख्यधारा से अलग कर दिया गया था. इस कारण वे आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान नहीं कर पायें.
वे सैकड़ों वर्षो तक सामाजिक न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खाते रहे. ये जाति कोई और नहीं, बल्कि आदिवासी हैं. आजाद भारत में भी बुनियादी सुविधाओं में रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और चिकित्सा आदि से आज भी उन्हें वंचित रखा गया है. आजादी के बाद भारत के संविधान में अगर उन्हें आरक्षण देकर सामाजिक और आर्थिक उत्थान का अधिकार दिया गया, तो उन्हें उसका भी कोई लाभ नहीं मिला. आज भी उन्हें इसकी सख्त जरूरत है और सामाजिक न्याय के लिए यह जरूरी है.
सुमन कुमार सिंह, जमशेदपुर
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