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आप सरकार चुन सकते हैं, मगर पत्नी नहीं

।। उमा ।। (प्रभात खबर, धनबाद) अपने यहां ऐसी व्यवस्था है जिसमें कोई व्यक्ति जो 18 साल का है, सरकार तो चुन सकता है, पर अपनी पत्नी का चुनाव नहीं कर सकता. इसके लिये उसे इस उम्र में नाबालिग माना जाता है. केंद्र सरकार के कम से कम चार मंत्रालय ऐसे हैं जिनके यहां वयस्कता […]

।। उमा ।।

(प्रभात खबर, धनबाद)

अपने यहां ऐसी व्यवस्था है जिसमें कोई व्यक्ति जो 18 साल का है, सरकार तो चुन सकता है, पर अपनी पत्नी का चुनाव नहीं कर सकता. इसके लिये उसे इस उम्र में नाबालिग माना जाता है. केंद्र सरकार के कम से कम चार मंत्रालय ऐसे हैं जिनके यहां वयस्कता के अपनेअपने मानक हैं, यानी एक ही व्यक्ति चार बार वयस्क होता है.

आइए इस विचित्रता को समझने के लिए सबसे पहले लेते हैं श्रम मंत्रालय की मिसाल.

इसके अधीन व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए एक कार्यक्रम है एमइएस’ (मोडुलर इंप्लाएबल स्किल). इसमें वैसे लोग शामिल हो सकते हैं, जिन्होंने 14 साल की उम्र पा ली हो. इसके बाद बारी आती है मानव संसाधन विकास मंत्रालय की, जिसके साक्षरता कार्यक्र में प्रौढ़ उन्हें कहा जाता है जिन्होंने 15 साल की उम्र पा ली हो. इनके साक्षरता कार्यक्रम या अनौपचारिक व्यावसायिक प्रशिक्षण में शामिल होने के लिए प्रौढ़ता की शुरु आत 15 साल मानी जाती है.

अजब विरोधाभास तो यह है कि जिस बिजली मिस्त्री के प्रशिक्षण के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन डीएइ द्वारा तैयार पाठ्यक्र में न्यूनतन शिक्षा पांचवीं पास तय है, वही पाठ्यक्र श्रम नियोजन मंत्रालय के अधीन एमइएस में आठवीं पास के लिए है. इसके बाद बारी आती है चुनाव आयोग की. देश में मतदान की वयस्कता आयु 18 साल तय की गयी है. यानी आप देश की सरकार या भविष्य तय करने के भागी तो हो सकते हैं. पर अपनी निजी जिंदगी में आपको विवाह की दृष्टि से नाबालिग ही माना जाता है इस उम्र में. विवाह पंजीकरण तब तक नहीं होगा जब तक कि आप 21 साल के हुए हों.

सरकार बनानेवाला वैध नागरिक अपने विवाह जैसे निजी मामले में अवैध हो जाता है. महिलाओं को 18 साल में यह अधिकार प्राप्त है कि वे निजी जिंदगी के फैसले और मुल्क का भविष्य तय करने के फैसले में बराबर की भागीदार हो सकती हैं. यही नहीं, यौन अपराध के मामले में लड़कों को 16 साल की आयु में वयस्क मान लेने के लिए कई संगठन अदालत की शरण में गये हैं. वैसे यह फिलहाल दामिनी दुष्कर्म वाले मामले के बाद विवाद के चौखटे पर है.

चिकित्सा विज्ञान में तो 13 साल की आयु में यौनागम की अवधारणा है, पर दवाओं की खुराक लेने के लिए तो वयस्कता उम्र 11 साल ही मान ली जाती है और इस उम्र के बच्चों को दवा की खुराक बड़ों के बराबर दी जाती है. ट्रेनों में भी 12 साल के बाद पूरा टिकट लगता है. यही नहीं, विधि और आचारशास्त्र की भी अपनी व्याख्याएं हैं.

आचारशास्त्र इच्छास्वातंत्र्य को माइनरऔर एडल्टका पैमाना मानता है तो विधि मामलों, परिस्थितियों और विभागों के अनुसार संचालित होती है. मतलब साफ है, नेता चाहते हैं कि शादी होने से पहले दोतीन बार मतदानका पुण्य कमायें.

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