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प्रोत्साहन मिले, तब तो निखरे प्रतिभा

झारखंड भले ही पिछड़ा राज्य है, लेकिन यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है. हर क्षेत्र में अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त कर अनेक लोगों ने देश-दुनिया में नाम कमाया है. खेल के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले झारखंड के युवाओं में इधर लेखन की तरफ भी तेजी से रुझान बढ़ा है. कई नवोदित […]

झारखंड भले ही पिछड़ा राज्य है, लेकिन यहां प्रतिभाओं की कमी नहीं है. हर क्षेत्र में अपने प्रयासों से सफलता प्राप्त कर अनेक लोगों ने देश-दुनिया में नाम कमाया है. खेल के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखने वाले झारखंड के युवाओं में इधर लेखन की तरफ भी तेजी से रुझान बढ़ा है. कई नवोदित लेखक तैयार हो चुके हैं.

इसकी वजह है कि राज्य में पढ़ाई-लिखाई का अच्छा माहौल. हमारे बच्चे बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों में काम करके राज्य का मान बढ़ा रहे हैं. ऐसे में प्रतिभा पहचान और प्रोत्साहन देने की नीयत से बनाये गये डिस्ट्रिक्ट इनोवेटिव फंड की राशि जिलों में खर्च न हो पाना बहुत ही दुर्भाग्यपूण है. कहने का तात्पर्य है कि झारखंड में अफसरशाही की अड़चनें सबसे ज्यादा हैं. अगर ये अड़चनें थोड़ी कम हो जायें, तो इस राज्य के युवा सफलता की नयी मंजिलें हासिल करने से नहीं चूकेंगे. डिस्ट्रिक्ट इनोवेटिव फंड में हालांकि सालाना एक करोड़ रुपये ही जाते हैं, फिर भी इतनी कम राशि का भी सदुपयोग न होना बदहाली की असली कहानी बयान करता है.

चूंकि राज्य में पिछड़ापन और गरीबी बहुत ज्यादा है, इस लिए ज्यादातर लोग इस फंड के बारे में जानते ही नहीं. जिला मुख्यालयों में बैठे अफसर और कर्मचारी इस तरफ ध्यान ही नहीं देते. इस मद की खास बात यह है कि इसको विभिन्न क्षेत्रों में प्रोत्साहन के लिए खर्च किया जा सकता है.

लेकिन इसकी राशि कागज पर खर्च नहीं की जा सकती. लगता है इसी लिए अफसर इसमें हाथ ही नहीं लगाते. समय-समय पर राज्य के अनेक स्कूल-कॉलेजों में छात्र और अध्यापक प्रदर्शनियों के जरिये नयी-नयी खोज सामने लाते रहते हैं. इसी तरह अनेक स्वयंसेवी संस्थाएं भी समाज को नयी दिशा देने के कार्य में जुटी हैं. इन्हें अगर अच्छी तरह जांच-परख कर इनकी इनोवेटिव फंड से मदद की जाये, तो नतीजे निश्चय ही और बेहतर आयेंगे. और भी लोग इस क्षेत्र में हाथ आजमायेंगे, लेकिन दुर्भाग्य से अपने झारखंड में अच्छा काम करने वालों को कोई नहीं पूछता. इससे यह बात साफ हो जाती है कि विकास में शिथिलता या गतिरोध के लिए राज्य में पैसे की कमी नहीं, बल्कि नीयत का अभाव है. राज्य में नयी सरकार बनने से आशा जगी है कि अब राज्य में अच्छा काम करने वालों को प्रोत्साहित करने की शुरुआत की जायेगी. कहते हैं..जब जागें, तभी सवेरा होता है.

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