महोदय! अर्ज यह है कि 18 जुलाई को राज्य की नवगठित सरकार ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. और उसी दिन मानो चिराग तले अंधेरा छाया रहा. उस दिन एक ओर जहां बिजली लगातार दो घंटे तक गुल रही, वहीं रमजान के आते-आते बाजार का भी हाल हम रोजेदारों के लिए मुश्किलोंवाला रहा.
इसी पर पेश है मेरी एक छोटी सी रचना :
रमजान के आते ही प्याज ने रुलाया/ मूली ने दामन बचाया/ चने ने कर दिया खाये जाने से मना// दाल भी गलने से रही/ हमने हर बात चुपचाप सही/ और यह बात किसी से न कही// लेकिन हर चीज की हद होती है/ तरावीह के शुरू होते ही बिजली हो गयी गुल/ अब रांची का मौसम भी वैसा न रहा/ लोग गर्मी से थे परेशान/ बुजुर्गो की जा रही थी जान/ फिर भी सरकार महान/ क्या खूब लिया इम्तिहान// बिजली लगातार दो घंटे रही लापता/ आप ही बतायें इसमें किसकी है खता// कम से कम रमजान में देना चाहिए ध्यान/ ताकि रोजेदार न हों परेशान/ सरकार का होगा बहुत एहसान// बिजली, पानी, खाना, दाना यही तो हैं बुनियादी जरूरतें/ सरकार इनपर दे पूरा ध्यान.
।। एजाज अनवर खान ।।
(बरियातू, रांची)