संसार में एक ओर जहां आतंक है, वहीं दूसरी ओर उससे कहीं अधिक प्रशस्त शांति का मार्ग भी है. भारत भूमि में अगणित शांति संस्थापक हुए, जिनके अतुलित ज्ञान की रोशनी से दुनिया रोशन है.
विश्व शांति की जरूरत महसूस होते ही महावीर, गौतम बुद्ध और गांधी का चिंतन अपना महात्म्य दिखाने लगता है. शांति की राह से भटके हुए लोग भले इनकी जन्मस्थली या कर्मस्थली पर हमला कर लें, उनके कृतित्व को तो कभी नहीं मिटा सकते और न ही उसकी लौ को मद्धिम कर सकते हैं. बुद्धस्थली पर हमला करके हमलावरों ने स्वयं को और शर्मिदा किया है. इस घड़ी में नीतीश सरकार को संवेदनाओं के साथ सहयोग की भी जरूरत है.
इस तरह की आतंकी मनोवृत्ति से दुनिया का सबसे ताकतवार देश माना जानेवाला संयुक्त राज्य अमेरिका भी खुद को नहीं बचा सका है. महाबोधि मंदिर पर इस हमले की जितनी भी भर्त्सना की जाये, कम ही होगी. बहरहाल, वक्त है सरकार की आलोचना बंद करके बिहार सरकार की हौसलाअफजाई करने की, ताकि बुद्ध की कर्मस्थली को संजो कर रखनेवाला राज्य एक बार फिर से शांति की स्थापना कर सके.
डॉ हेम श्रीवास्तव,बरियातू,रांची