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26/11 को इतनी जल्दी भूल गये हम!
26 नवंबर 2008 को हमारे देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में समुद्र के रास्ते देश में घुस आये कुछ आतंकवादियों ने दहशत का नंगा नाच किया था. देश-विदेश में इस घटना की भर्त्सना की गयी और दोषियों को सख्त सजा की मांग की गयी. कई हफ्तों-महीनों तक यह मुद्दा पिंट्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में छाया […]
26 नवंबर 2008 को हमारे देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में समुद्र के रास्ते देश में घुस आये कुछ आतंकवादियों ने दहशत का नंगा नाच किया था. देश-विदेश में इस घटना की भर्त्सना की गयी और दोषियों को सख्त सजा की मांग की गयी. कई हफ्तों-महीनों तक यह मुद्दा पिंट्र और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में छाया रहा. लेकिन ऐसा लगता है कि वक्त के मरहम ने हमारे इस घाव को भी भर दिया है.
शायद इसीलिए इस बार अखबार में 26/11 से जुड़ी खबर ढूंढ़े नहीं मिल रही थीं. क्या हम इस घटना को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं? अगर हां, तो आज भी बर्दवान, पटना और बोधगया जैसे धमाके देश को क्यों दहला रहे हैं और अगर नहीं तो इतने बड़े हमले के प्रति हम इतने उदासीन क्यों हो गये हैं? 9/11 से सीख लेते हुए अमेरिका ने आतंकवादियों का चुन-चुन कर सफाया किया, लेकिन हमने क्या किया?
अमरजीत सिंह, ई-मेल से
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